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प्रकरण पांचवां ऐतिहासिक क्षेत्र में मूर्तियों का स्थान
भारतीय धर्मों में प्रायः जैन, वेदान्तिक, और बौद्ध ये
। तीन धर्म ही प्राचीन धर्म माने जाते हैं, और इन तीनों धर्मों के धार्मिक विधानों में मूर्तिपूजा का आसन सब से ऊँचा एवं आदरणीय है। .. गत प्रकरणों में जिस प्रकार हम जैनागमों में मूर्तिपूजा को प्राचीनता अनादि सिद्ध कर बतला आए हैं, उसी प्रकार बौद्ध और वेदान्तियों के शास्त्रों में भी मूर्तिपूजा विषयक लेख प्रचुरता से मिलते हैं। :: यद्यपि तात्त्विक विवेचन में शास्त्रीय प्रमाण भी असंदिग्ध एवं उपयोगी सिद्ध हैं किन्तु वे सर्वसमाज के लिए मान्य न होकर तत्तत् धर्माऽवलंबियों के लिए ही शांतिदायक और संतोषप्रद होते हैं अतः आज मैं इन सबका सहारा छोड़कर केवल ऐतिहासिक एवं युक्तिगम्य प्रमाणों से ही मूर्तिपूजा का अनादित्व सिद्ध करना चाहता हूँ क्योंकि उक्त दोनों प्रमाण सर्व साधारण जन समाज को भी पूर्ण सन्तोषप्रद सिद्ध हो चुके हैं। हम कह आए हैं कि ऐसा करने से शास्त्र कोई झूठे साबित नहीं होते हैं। परञ्च, जैनशास्त्र जैसे जैनियों के लिए मान्य हैं, वैसे ही बौद्धशास्त्र बौद्धों के लिए और वेदान्त वेदान्तियों के लिए ही मान्य हो सकते हैं । इतर धर्मावलंबी जैसे जैन आदिकों के लिए इनकी वस्तु
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