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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर
अरिहन्तों के चार निक्षेप | अन्यतीर्थियों के चार निक्षेप (१) नाम निक्षेप-अरिहन्ता (१) नाम निक्षेप-अन्यतीर्थयों - का नाम वन्दनीय । | का नाम अवन्दनीय । (२) स्थापना-निक्षेप-अरि- (२) स्थापना निक्षेप-अन्य
हन्तों की मूर्ति या अरि- तीथियों की मूर्ति अवन्द- हन्त ऐसे अक्षर लिखना नीय ।
वन्दनीय । (३) द्रव्यनिक्षेप भावअरिहंतों (३) ट्रव्यनिक्षेप-भावनिक्षेप ___ का, भूत, भविष्यकाल के का भूतभविष्यकाल के
अरिहन्त वन्दनीय । । अन्यतीर्थी अवंदनीय । (४) भावनिक्षेप-समवसरण (४) भावनिक्षेप--वर्तमान के ____स्थित अरिहन्त वन्दनीय अन्यतीर्थी अवंदनीय ।
यह सीधा न्याय है कि स्वतीर्थियों के जितने निक्षेप वन्दनीय हैं, उतने ही अन्यतीर्थियों के अवन्दनीय है अर्थात् स्वतीर्थियों के चारों निक्षेप वन्दनीय हैं और अन्यतीर्थियों के चारों निक्षेप अवन्दनीय है।
प्र-सात नय में मूर्तिपूजा किस नय में है ?
उ-सात नय में सिद्धों को नमोत्थुणं कहते हो वह किस नय में हैं ?
प्र-आपही बतलाइये ?
उ-मूर्तिपूजा और सिद्धों को नमोत्थुणं दिया जाता है वह नैगम और व्यवहार नय का मत हैं क्योंकि नैगम और व्यवहार नय के मत वाले निक्षेप चार मानते हैं और भी
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