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मर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास
जैनाचार्य के व्याख्यान समय हाथ में मुखवस्त्रिक
___अंजारी नामक प्राचीन तीर्थ में एक जैन मन्दिर के अन्दर
धाराधीश भोज राजा प्रतिबोधक और वृहद् शान्ति के कर्ता जैनाHd चार्य वादी वैताल शान्ति सूरि की पाषाणमय मूर्ति के एक हाथ
में मुखवस्त्रिका और दूसरे हाथ में दशवैकालिक सूत्र की प्रथम als गाथा “धम्मोमंगलमुक्कीटुं” का पन्ना है। आपका समय विक्रम
की ग्यारवीं शताब्दी का है जिसको नौ सौ (९००) वर्ष जितना र गहरा समय हुआ है।
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