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मूर्ति पूजा का प्राचीन इतिहास
२२०० वर्षों की प्राचीन मर्तियां
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मथुरा के कंकालीटीला के खोद काम से एक वंश विशेष मिला है जो चित्र ऊपर दिया गया है इसमें ऊपर के भाग में समवसरण के दोनों बाजु तीर्थङ्करों की मूर्तियां हैं। नीचे जैन श्रमण कृष्णार्षि की मूर्ति जिसके एक हाथ में रजोहरण और दूसरे हाथ में मुखवस्तिक है । विद्वानों का मत है कि यह वि० सं० के पूर्व दो शताब्दियों जितना प्राचीन है। इस प्राची. नता से सिद्ध है कि जैनसाधु मुँहपत्ती कदीम से हाथ में ही रखते थे।
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