Book Title: Murtipooja ka Prachin Itihas
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 561
________________ ४२७ परिशिष्ट काल्पनिक एवं मिथ्या समझ मुंहपत्ती के डोरे को तोड़ शुद्ध सनातन मार्ग का अवलम्बन कर स्वपर का कल्याण करना ही अच्छा समझा और समझते हैं। इतना ही क्यों पर इस कार्य करने वालों की शुभ नामावली और कतिपय चित्र हम श्रीमान् लोकाशाह के जीवन पर ऐतिहासिक प्रकाश नाम की पुस्तक में दे दिये हैं उस को देखें और पढ़कर असत्य का त्याग और सत्य को स्वीकार करें । यही हार्दिक शुभ भावना है। ॥ इति ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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