________________
मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास ।
चतुर्विध संघ के हाथ में मुंहपती।
Y
RELELU
यह चित्र कुम्भारियाजी के प्राचीन मन्दिर के रंगमण्डप की छत में शिल्पकाल का उत्कर्ष समय का है। आचार्य व्याख्यान दे रहे हैं और चतुविध श्रीसंघ व्याख्यान सुन रहे हैं। इन सबके मुँहपती हाथ में ही है। यह मन्दिर बहुत पुराना है। उस समय जैन श्रमण मँहपती हाथ में ही रखते थे
क्या हमारे स्थानकवासी भाई लवजी (वि० सं० १७०८) के पूर्व समय का Jain E कोई ऐसा ऐतिहासिक प्रमाण पेश कर सकते हैं ? नहीं।
www.jainelibrary.org