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प्रकरण तीसरा
तीर्थकरों को बन्दन मुनियों को संयम पालने तीर्थंकरों की मूर्तियां करने का फल
पूजने का फल
का फल
सूत्रों के मूल पाठ । सूत्रों के मूल पाठ । सूत्रों के मूल पाठ
१ हियाए २ सुहाए ३ रकमाए ४ निस्सेसाए ५ अणुगमिताए
हियाए सुहाए रकमाए निस्सेसाए अणुगमिताए
हियाए सुहाए रकमाए निस्सेसाए अणुगमिताए
ऋषिजी का हिन्दी __ अनुवाद
ऋषिजी का हिन्दी
अनुवाद
ऋषिजी का हिन्दी
अनुवाद
१ हित की कर्ता | हितकर्ता
हितकारी २ सुख की कर्ता सुखकर्ता
सुखकारी ३ कल्याण की कर्ता योग्यकर्ता क्षमाकारी ४ (अर्थ नहीं किया है) कर्मक्षय करने वाला है | निस्तारकारी ५ अनुक्रम परम सुख• भवान्तर में फल साथ | अनुगामीक होवेगा
दाता 'उववाई सूत्र पृ० ८७
आचारांग सूत्रप ० १९९| राजप्रश्री सत्रपृ० १२८
उपर के कोष्टक में तीर्थंकरों को वन्दन करना, संयम का पालन करना और तीर्थकरों की मूर्तियों की पूजा करने का फलके विषय में शास्त्रकारों ने एक सरीखा पाठ और अर्थ किया है।
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