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( २५ ) मान द्वेष रूप है क्योंकि वह क्रोध के अनंतर उत्पन्न होता है । क्रोध के विषय में प्रतिपादित समस्त दोषों का कारण है। ___माया प्रिय है, क्योंकि उसका पालंबन प्रिय पदार्थ है। वह अपना कार्यक्पूर्ण होनारमन्ना सितोपर को छानकरती है । लोभ भी पेज्ज अर्यात प्रेय है, 'पाल्हादनहेतुत्वात्', क्योंकि बह अानन्द का कारण है।
शंका-क्रोध, मान, माया तथा लोभ दोष रूप है, क्योंकि उनसे कर्मों का प्रास्रव होता है।
समाधान- यह कथन ठीक है, किन्तु यहां कौन कषाय हर्ष का कारण है, कौन प्रानन्द का कारण नहीं है; इतनी ही विवक्षा है । अथवा प्रेय में दोषपना पाया जाता है, अतः माया और लोभ प्रेय है। __ अरति, शोक, भय, जुगुप्सा दोष रूप हैं। वे क्रोध के समान अशुभ के कारण हैं। हास्य, रति, स्त्रीवेद, पुरुषवेद तथा नपुंसकवेद प्रेय रूप हैं, क्योंकि वे लोभ के समान राग के कारण हैं ।
शंका-- यह अनुद्दिष्ट बात कैसे जानी गई ? समाधांन–'गुरुवएसादो' गुरु के उपदेश से यह बात अवगत
शंका-व्यवहार नय माया को दोष कहता है, इसका क्या हेतु है ?
समाधान- माया में अविश्वासपना और लोकनिन्दितपना देखा जाता है । लोक निन्दित वस्तु प्रिय नहीं होती है । लोकनिन्दा से सर्वदा दुःख की उत्पत्ति होती है, 'सर्वदा निन्दातो दुःखोत्पत्तः।
लोम पेज्ज है, क्योंकि लोम से रक्षित द्रव्य के द्वारा सुख से जीवन व्यतीत होता है। स्त्री वेद, पुरुषवेद प्रिय हैं । गेष