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अनुभाग संक्रमाधिकार
मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी म्हाराज कमों की स्वकार्योपादन शक्ति अथवा फलदान की शक्ति को अनुभाग कहते हैं । “अपाभागो णाम कम्माणं सग-कज्जुप्पायणसत्ती"। उस अनुभाग के संक्रमण अर्थात् स्वभावान्नु र परिणमन को अनुभाग संक्रमण कहते हैं--"तस्स संकमो सहावनर, संकती, सो अणुभागसंकमोत्ति वुच्चइ” ।
यह अनुभाग संक्रमण (१) मूल प्रकृति-अनुभाग-संक्रमण (२) उत्तरप्रकृति अनुभाग संक्रमण के भेद से दो प्रकार का है।
मूलप्रकृतियों के अनुभाग में अपकर्षणसंक्रमण, उत्कर्षण संक्रमण होते हैं। उनमें परप्रकृतिरुप संक्रमण नहीं होता है। ___ उत्तर प्रकृतियों के अनुभाग में उत्कर्षण, अपकर्षण तथा परप्रकृतिरुप परिणमन होता है । (पृष्ठ १११४)
एत्थ मूलपयडीए मोहणीयसाणिदाए जो अणुभागो जीवाम्मि मोहुपायण-सत्तिलक्खणो तस्स प्रोकड स्कहुणावसेण भावंतरावत्ती मूलपयडि-अणुभागसंकमो णाम ।।
. उत्तरपयडीण मिच्छत्तादोणमणुभागस्स ओक झुक्कड्डणपरपडिसकमेहि. जो. सत्ति-विपरिणामो सो उत्तरपयडिअणुभाग संकमोत्ति भण्णदे ॥ ( १११४ )