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इस प्रकार प्राठ भंग उत्पन्न होते हैं । (१) कथंचित् जीवों में (२) कथंचित् अजीवों में (३) कथंचित् एक जीव तथा एक अजीव में (४) कथंचित् एक जीव में तथा अनेक अजीबों में (५) कथंचित् अनेक जीवों में और एक अजीव में (६) कथंचित् अनेक जीवों तथा अनेक प्रजीवों में (७) कथंचित् एक जोध में (८) कथंचित् एक अजीव में द्वेष भाव धारण करता है । मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज शंका-कौन नय किस द्रव्य में प्रेमभाव धारण करता है ?
समाधान-नैगम नय की अपेक्षा आठ भंग हैं। कथंचित एक जीव में (२) कथंचित् एक अजीव में (३) कथंचित् अनेक जीवों में (४) कथंचित् अनेक प्रजीवों में (५) कथंचित् एक जीव में तथा एक अजीव से (६) कथंचित् एक जीव में और अनेक अजीयों में (७) कथंचित् अनेक जीवों में एक अजीव में (८) कथंचित् अनेक जीवों में तथा अनेक अजीबों में जीव प्रेम करता है।
संग्रह नय को अपेक्षा सर्व द्रव्यों पर द्वेष करता है तथा सर्व द्रव्यों पर प्रेम करता है। इसी प्रकार अजुसूत्र नय का कथन जानना चाहिए।
व्यवहार नय की अपेक्षा पेज्ज और दोस सम्बन्धी पाठ भंग होते हैं।
शब्द नय को अपेक्षा जीव आपस में ही प्रिय अथवा द्वेष व्यवहार करता है । १ जीव सर्व द्रव्यों के साथ न द्वेष करता है, न प्रेम करता है । पेज्ज और दोस के स्वामी नारकी, तिर्यंच,मनुष्य तथा देव कहे गए हैं।
१ सहस्स णो सव्वदम्वेहि युट्ठो अत्ताणे चेव प्रताणम्मि पियायदे।