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जैन प्रागम-अंग बाह्य-छेदसूत्र
[
41
8A
|
10
11
19वों
पागम व्याख्या प्रा.स. __88 | 26xllx13x36/ संपूर्ण साहित्य
प्रा.सं.प्र. 55 26 x 11 x 5 x 30
19वीं
मा.
25x11x15x50
प्र.1216की | 16वीं
कल्पसूत्र की
व्याख्या कल्पसूत्र के
व्याख्यान
| महावीर निर्वाण
तक
ऋषभचरित्र मात्र
कल्पसूत्र की दुर्गपद विवृत्ति कल्पसूत्र की
85/26 x 11x15x48 , 8व्याख्यान 18वीं
| 25 x 11 x 15x47| अपूर्ण 5 ., 1732 66.25x11 x 15 x 36 ,, महावीर जन्मो-18वीं
त्सव तक 27x11x15x45 ,6ठो वाचना तक 9वीं 25x11x16x50 ,, केवल 11 19वीं
व्याख्यान मात्र | 25 x 11x19x 44 | ,,7वां व्याख्यान 20वीं 54 26x11x16x56 | संपूर्ण प्र.3041 | 1638 28x11x15x44
1662 | 25 x 10 x 13x45 ,, प्र. 1216 को 1899
26x11x13x45 अपूर्ण (कुछ समाचारी 17वों 77/24x11x14x36 ,, 7वीं वाचना तक 1850 26x14x1] x 35 ,, स्वप्नाधिकार तक 19वीं
,,, केवल चौथी - 19वीं
1364 की
रचना प्रथम पन्ना कम
प्रारभ ॐ श्रुत्रा पंचमति-श्रुता वपि....
वाचना
26x11x17x50
, स्वप्नो से अंत तक 19वीं
प्रथम 4पन्न
कम है
प्रा.मा.
| 26 x 11x19x48
,, स्थविरावली का 20वीं
ग्रंश 25x13x13x33 केवल स्थविरावली 20वीं बीका
नेर कंवलगच्छे 26x12x16x32 , समाचारी 1914
" समाचारी
.
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