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जन तात्त्विक प्रोपदेशिक दार्शनिक :
[ 145
11
6 7 बारहभावना. मा.
(वैराग्य) भावना प्रौपदेशिक प्रा.
8 8A
9 10 4,4,3*/ 26से29 x 11 x भिन्न | संपूर्ण 52 छंद | 20वीं
26 - 11 x 15 x 75 अपूर्ण 34 से 62 (अंत) गा. 19वीं 25x11x18x50- संपूर्ण 30 गा. 1742 कटारिया,
रामदास 23x12x5x37
1826 x शुभ
मात्म भाव विश्लेषण प्रा.सं.
मुनि
24x11x4x33
19वीं
प्रोपदेशिक
भक्ति स्वाध्याय
25 x 10 x 11 x 40 | अपूर्ण 507 श्लोक तक 19वीं 17x14x11x18 | संपूर्ण 47 गा. 1828 27 x 11 x 14 x 36 | , 21 ढालें
1861 26 x 11 x 13 x 45 | अपूर्ण
19वीं भिन्न भिन्न 30 द्वारों
से जीव-विभक्ति 25 x 11x17x46 | संपूर्ण 20 गाथा 18वीं 26 x 12 x 19x43 | ,, 20 गा अवचूरि 98| 19वीं, पाटण,
तात्त्विक
।
गा
25x12x12x35
19वीं
धार्मिक श्लोक संग्रह सं.मा.
174
25 x 11 x 13x38 | प्रतिपूर्ण 148 श्लोक 25x11x15x38 संपूर्ण 25 गा.
अहंकार पर
मा.
18वीं
तात्त्विक बोल
30x12x
संपूर्ण
18वीं
भिन्न भिन्न 161 द्वारों
से जीव-विभक्ति
प्रौपदेशिक
23x11x14x44
18वीं
24x11x11x35
19वीं
प्रायश्चित्त साधु
प्राचार
xx
25x14x12x32
1933
ग्रं. 360 ,, ग्रं. 351 ।, (8+9 श्लोक) , 4 डालें
प्रौपदेशिक दार्शनिक मं.
23x20x21x38
1544
2 अष्टक
लोकस्वरूप
26 x 11x11x33
19वीं
नयोग-ग्रंथ
25x12x20x56 अपूर्ण पाठ ढालें
19वीं
25 x 12 x 12x35 | 84 गा. पूरी 20वीं 28 x 12 x 14x46 | संपूर्ण 225 श्लोक की ग्र| 19वीं 27 x 11 x 15 x 43 | संपूर्ण 12 प्रकाश 1465x पुण्य
प्रभसूरि 26x12x14x55
| 1960 रायचंद्र प्रारंभके44पन्ने जीर्ण
117:]
जैन योग (गृहस्थ भी) ,
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