________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
व अन्य वृत्तान्त :
"
प्राचार्य पाट परंपरा सं.मा.
21
"1
11
11
6
,
जैन भौगोलिक
तालिका
भौगोलिक श्रागमा
नुसार भूगोल विविध बोल
"1
मा.
:
जैन लोक स्वरूप भूगोल
1=
तीर्थ इतिहास
सं.
युगन, भविष्य - मा. वाणी
इतिहास एवं भाषा- सं. लिपि विज्ञान (प्राचीन)
भिन्न 2 द्वारों से जानकारी
संद्धांतिक जानकारी मा
व प्रौपदेशिक विधि
गोत्र की पीढियां
सं.मा.
मा.
7
"
=
""
तीर्थंकरों के 5 कल्याएक
जैन भौगोलिक
पालीताणा की घटना मा. का वृत्तांत दुःख प्राभूते जैनाचार्यों की नामावली
31
प्रा.
"
प्रा.सं.
1
1, 13, 1 24 से 26 × 8 से 12
10
8
7
प्रा.सं.मा. 12
20
21
1
1
2
8
8
26 x 12 x 13 x 44
25 × 12 x 20 x 56
26 × 12 x 15 x 45
26 × 1 2 × 14 × 38 | प्रतिपूर्ण स्फुट पत्र
26x12x
अपूर्ण 20वें पाट तक
8,8,8 25 x 12 x
प्रतिपूर्ण
6
11
38
12
4
6
3
34
8 A
27
2
www.kobatirth.org
26 × 11 x 11 × 34
25 x 12 x 15 × 35
30 x 16 x 16 x 40
•30 × 11 x 15 x 43
26 × 12 x 13 x 35
25 × 11 × 20 × 56 संपूर्ण
25 x 12 x 10 x 34
29 x 10 x 40 x 18
29 x 14 x 11 x 27
संपूर्ण नाम मात्र
37
भिन्न 2
24 x 11 × 14 × 42
23 x 10 x 11 x 42
21 x 11 x 15 x 32
27 x 12 x 14 x 41
11
"
11
11
27
11
13
17
11
"1
11
9
21
11
69 पाट तक
5 पट्टावलियां
20 जिनेश्वरों की
31
25 गा.
11
95 गा (पहिला पन्ना कम)
2 बार 17 गा,
For Private and Personal Use Only
26x12x –
किंचित् अपूर्ण
27 × 11 × 11 × 39 संपूर्ण 32 गाथा की
"1
11
19वीं
18वीं
18/19वीं
19वीं
20वीं
"1
18वीं
19वीं
"1
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
10
20 वीं
1924
""
19वीं
31
"
"
2004 युगप्रधान |1841 स्तंभन,
की
कीर्तिभुवन
[357
11
साथ में आत्मप्रबोध
सज्झाय
पट्टावलीमा वर्णन
चरित्र
च्छ विशेष की नहीं
भिन्न 2 गच्छों की
च्छ विशेष की नहीं
19वीं
15वीं देवसुंदर अंतिम गाथा की | ( सत्यमेरु शिष्य ) अवचूरि नहीं