Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti

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Page 419
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाकाव्य प्रादि साहित्यिक ग्रन्थ : [ 403 8A ___ 10 1। 18x15x13 x 14 प्रतिपूर्ण 1793 मध्ययुगान किलों शहरों राज्यो रा. के संवत् राजा व नगरों के | , संवत् बोधकथायें 25x11x11x30 , 19वीं 1802 से 1180 गुजरात व राज. के पन्ने निा क्रम 14x15x17x22 त्रुटक प्रौपदेशिक साहि- | हिन्दी त्यिक बायें व दाहिने हाथ मा. का वादविवाद ऐतिहासिक वृत्तांत 29x 12 x 21x48 | संपूर्ण 31 विषयसांग 591 दोहे 26x || x 13x42 | , 69 छंद 3 30x16x14x30 राजपुत्रदत्तिवर्मा द्वारा दिया गया पहिला पन्ना कम है सुभाषितानि 27x11x21x66 | 10 सर्ग ग्रं. 676 17वीं साहित्यिक रचनायें डि. 1,1,1,1 | भिन्न 2 21,11 प्रतिपूर्ण | 19/20वीं स्फुट लघु ग्रन्थ नैतिक काव्य रा. | 19x15x14x27 | प्रर्याप्त समस्यापूत्ति 1767 1856 जीवाण लोककथा 22x15x15x33 | संपूर्ण नीतिशास्त्र 14x9x9x16 8 अध्याय 135 1666 श्लोक | 26x12x30x68 | प्रतिपूर्ण 19वीं शोकों की प्रादि गा., थायें अकारादिक्रम से ऐतिहासिकमहाकाव्य 26 x 13x17x48 संपूर्ण 18 सर्ग 17वीं 1725 22 x 11 x 11 x 40 26 x 11 x 4x42 1785 : : 26 x 12x17x52 1854 विक्रमपुर बखतसुन्दर 1854 | 25x11x13x33 , 19 सर्ग : | 28 x 13x10x46 | अपूर्ण 11वें सर्ग तक 16वीं 232, 29x13 425x11 , 16/17 सर्ग तक | 18/19वीं 29x14x17x40 , प्रथम सर्ग+मात्र | 16वीं 3326x12x17x64 17वीं जीणं पन्ने चिपक गये हैं 115 31x15x17x52 | संपूर्ण 18 सर्ग 19वीं साहित्यिक महाकाव्य , 1541 . | 29 x 11 x 10 x 34 , 8 सर्ग | 26 x 12 x 10 x 31 |, 7 सर्ग या 8वें सर्ग 16 श्लोक तक हैं 16वीं For Private and Personal Use Only

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