Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti

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Page 550
________________ 2 शुद्धि पत्रक ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir , 191 11 पृष्ठ अनुक्रमांक स्तंभ 65 968 " " 8A 67 1095 128 143 195 73 196 74 233 75 240 261 __11 की __31 www.kobatirth.org 46 से 54 46 10 7,113 4 11 अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ अनुक्रमांक स्तंभ क्रम गुटका 6 गुटका-क्रम-6 । 95 182 11 23x20x21X38 96 190 3 पौष पौषध लगभग लगभग है) 97 190 वदित् वंदितु क्षामण क्षमापरणा 102 283 3 क्षामरगा क्षमापणा | 104 290 3/281 2/281 294 | 106 308 वृतिये वृत्ति के को 330 ग्रंथाय ग्रंथान 107 310 पिंड विशुद्धि पिंड वशुद्धि 110 358 1775 1475 112 388 अध्यात्मक. अध्यात्म 410 से 17 1 14 24 पुङ्गल पुद्गल 388 (...422) ग्रं.422 409-11 10 17 114 440 2 नियुक्तिकार नियुक्ति की 119 490 8A देवता देशना 23x20x21x38 524 10/95 19/95 122 ब्रह ब्रह्म 124 53 गुकित गुफित 127 604 8A (12 प्रक्षिप्त) (ये शब्द हटा दें) 128 633 2 दीपाविजय दीपविजय 131 663 6 उठायणा उठामणा | 132 670 अशुद्ध शुद्ध उठामरणा सूक्ष्म विचार सार सूक्ष्मार्थ सार्द्धशतक विचारसार आगमिक वस्तु प्रागमिक वस्तु विचारसार +देखे पन्ना 168/ प्र० 1168 केशी दिपंताशि का केशी द्विपंचाशिका गरणधरावद गरणधरवाद जिन बल्लभ जिन लाभ गुणस्धान गुणस्थान समुन्द्रगणि समुद्रगणि शिव्य शिष्य गुरणस्थाय गुरणस्थान प्रोसियां प्रोसियां 3 इ 191 19/99 19/97 10,11-13,14, 11,12-14,15, 15,16,17 16.17,18 सं.मा. प्रा.मा. 19/2वीं 19/20वीं 2/336 2/331 16 65 650 344 345 253 553 53 573 19 39 5/133 15/133 () दार्शनिक व प्राचार इन्द्रदेव इन्दुदेव For Private and Personal Use Only 7 18 57 21 26 " 8A 77 60 80 111 117 155 157 168 93 Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 10 , 94

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