Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti

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Page 554
________________ 6 शुद्धि पत्रक ] शुद्ध पृष्ठ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्ध पृष्ठ अनुक्रमांक स्तंभ 35281 356 149 2 , 151 3 2/363 अशुद्ध । 2 अ 263 4 प्रा 13 परिविउपाय बीसविरहमान 403 4 या 16 परिधिउपाय बीसविहरमान 404 157 7 मा. प्रा. 361 229 3628 405 32 364 408 अनुक्रमांक स्तंभ 42 2 51 11 75 व 76 3 ___ के बीच 67 83 104 108 113 124 111 142 153 157 173 203 208 224 365 19 अरिष्टनेमि को वचन अरिष्टनेमी को नमन सेवा मंदर 41 6 सेवा मंदिर 5416 23/21 22/21 भक्ति गीत साहित्यिक काव्य भाग 7 (अ) का ग्रंथ है 4 9 10 5 अ 10 1882 1822 गु 9 35 के नाथ (?) के. नाथ गु 9 गु 26 गु 26/8 80 30 409 410 411 www.kobatirth.org 40 69 For Private and Personal Use Only हेतु अशुद्ध 6 इ9 सर्ग श्लोक सर्ग 50वें श्लोक गीत गोविन्द देखें पृष्ठ 364 प्रतिपूर्ण 54/1 45/1 323 54/4 45/4 गु. दे. 5 5ग्रा 3 मा 5 10 छीहल छीहल (विव्हल) विगहिणी गीत विरहिणी गीत __ काल 6 इ2 ए 9 इ29 1043 1083 ऐति ऐतिहासिक [उपर से मू.टी.(प.ग)" शब्द यहाँ लाकर पढे] मनावज्ञान मनोविज्ञान विठमेह विठुमेह राठौड़ महशदास राठौड़ महेशदास? (खड़ियाजगा) पौराणिक पौराणिक काल से नैनिक नैतिक गु. 10 सोमप्रभाचार्य सोमप्रभाचार्य (स्वोपज्ञ) वैरुग्य वैराग्य 369 84 25 366 367 368 8A 374 1552 378 199 , 384 30 1 50,52,53 3 385 160 . 6 388 874 390 1225 391 1219 392 154-5 400 64 401 5 10 402 203 412 414 415 416 417 418 , 238 242 256 Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आम्नाय जिण प्रभसूरि ग. मं.. त्र 3 यं स्तोत्र अमरुक बखत सागरण ऐतिहासक जैन आम्नाय जिन प्रभसूरि ग. मं. यंत्र 3 यंत्र स्तोत्र 2 प्रति अमरु बखतसागरण ऐतिहासिक 261 265 277 गु. 10/6 291

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