Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti
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पृष्ठ
132
17
133
""
142
"
अनुक्रमांक स्तंभ
134
703
135
701
137
728
138
740
139 749
141
"
676
"3
182
193
"1
680
681
674
680
808-9
819-20
146
858
152 947
154
976
158
1018-20
161
1046
168 1167
1179
169 1168
177
17
178
27
28
781-2
34 43
221-2
1
4
19
,,
9
79
3
10
11
2 11
8 A
2
2
2
2
2
4
6
2
4
6
11
2
2
A WANI
3
6
प्रशुद्ध
576
जिनेश्व सूरि हरिभद्र ? स्वोपज्ञ
(,, ?)
67 ढाले
पां सूत्र
वृत्ति
1993
13 से 47
11/35
स्थाय
141
521
10/56
14/42
33/7
भंडारी नेमीचंद
दज्ञानादि
26+13×17 / 26 × 13 × 17 /
51 x 43
15 x 43
14/1
5/21
10/96
14/12
23/7
भंडारी नेमीचंद
ज्ञानादि
101
संग्रगृही
कठिन निराकरण
"
""
शुद्ध
676
जिनेश्वर सूरि अज्ञात (हरिभद्र ? )
,,/ हरिभद्र
2/18
14/39
मद्ममेरु
दीप
शस्त्र
6 ढाले
पांच सूत्र लघुवृत्ति 1593
13 से 478
11/45 रचनायें
141
संग्रहीत
कर्म सिद्धान्त
नामादि का पता नहीं पड़ा
महावीर 6 आ. 4 के. नाथ 14/39
पद्ममेरु
टीप
शास्त्र
पृष्ठ
199
201
203
204
206
207
208
"
209
217
218
219
220
229
230
دو
232
233
234
235
237
238
241
"1
243
244
245
""
"1
अनुक्रमांक
325
355
375
394
435
468
472
457
81-6
136
123
154
277
294
303
323
324-5
350
351
384
404
423
437-8
449
464
479
482
489
स्तंभ
10
9
6
3
2
11
2
37
10
9
2
11
7
11
2
""
2
8 A
2
11
11
3
11
9
II
2
11
9
10
अशुद्ध
1762
154 गा.
शमन विधि
विधिप्रभा
11/39
द
9/18
16
1833
भिन्न
345
1 । रंभ
प्र.
336
6/12
3 इ 223
17 x 47
24/ 0
जयति
-
स्वव
मणिभद्रचंद
94
प्रशक्ति महारीर
दो
डाल
लाभद
शुद्धिपत्रक 3
शुद्ध
1716
145 गा.
शयन विधि विधिप्रपा
11/31
दो 9/118
163
1883
भिन्न भिन्न 63/93
354
प्रारंभ
प्रा.
देखे पृष्ठ 259
536 6/112
3 इ 323
26 x 11
54/10 जयतिहुश्ररण
कवि जैन धर्मी है ।
स्तव
मणिभद्र छंद
45
प्रशस्ति महावीर
दोनों ढाल
लाभचंद
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