________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महाकाव्य आदि साहित्यिक ग्रंथ :
| 435
10
।।
व्याकरण
7 | 8 | 8A
9 99 | 25 x 11 x 11 x 34 | संपूर्ण
21 x 11 x 3x 22 | ,, प्रथम पन्ना कम
1872 पीराणपट्टन धनसागर
जीर्ण व खण्डित
46,52, 22 से 26x10 से 12 54,68
1806 से 20वी
24x11x11x30
1816
23x9x9x36
कृदन्त प्रत्यय तक
27
26x11x12x32 | तद्धित प्रक्रिया तक
1647 हरिपूर कल्याणगिरि 1782 फतेपुर,
सिद्धसूरि 1854 से 20वीं
119,25,
225 से 28x10 से 13 अपूर्ण
221 40.30 23 से 32x10 से 16 ,, 38,7 2225
1828 से 20वीं
36.31 22 से 30x10 से 13
,
11839 से 20वीं
21,22
21,10, 11,42 9,37,
3,14
11816 से 20वीं
41,23| 25 से 27x10 से 13 14,7, 40,3
संमा. | 21
27x12x12x52
16वीं
| 13
26x13x11x35
1877
18/20वीं
104,61, 21 से 26x11 41,9,21]
अंतिम टीका चंद्रकीत्ति की है।
123 | 26x11x17x80
19वीं
26 x 12 x 13 x 40
, श्लोक 226
1931
व्याख्या गद्य व पत्र
दोनों में
26x13x7x19
, संधि प्रकरण तक 19वीं
1756
25 x 11x13 x 42 संपूर्ण 23x10x10x36
1850
4,13,4 25 से 26x11 से 12 | प्रथम संपूर्ण शेष अपूर्ण | 19वीं
For Private and Personal Use Only