Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti

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Page 544
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 528 ] [ परिशिष्ट 22 23 24 454 मेरुतुङ्ग 176 178 90 278 518 N 66 00 पृष्ठ पृष्ठ माधव देवज्ञ 90,240,242,250 रत्नचन्द्र (नन्दिताइय) 452 माधव भट्ट 432,436,460,462 | मेरुनन्दन (मुनिमेरु) 210,240,242 रत्नचन्द्रगणि 276 480 | मेरु मनोहर मुनि 246 रत्नपुरि भट्टारक मानतुङ्ग 238,248,250,252 | | मेरुसुन्दर गरिण 146,152,250, रत्नप्रभाचार्य 254,266,390 454 रत्न मन्दिर मानदेव 258 | मेरुसमन्त 236 रत्न रङ्गोपाध्याय 328 मानमुनि मैथिली मधुसूदन 400 रत्नवल्लभ 330 मानविजय 10,222,244,312 | मोतीराम 506, रत्नविजप 246 मानसर्वज्ञ 176 मोहन विजय 226,300,312,324 रत्नवोह मानसागर 208,290,294,332 रत्नशेख र (हेमतिलक शिष्य) 104 मालदेव आनन्द 318 रत्नशेखर (जयशेखर शिष्य) 68,86 मालमुनि 288,304,306 यक्षसूरि शिष्य 310 104,106,154,336, मालशालहोत्र ऋषि 456 यतिसुन्दर 306 348,350 भित्र दामोदर यशकीर्ति 124] " " शिष्य मिश्र नंदन राम 486 यशोदेवसूरि 68,180 रत्न सुन्दर सूरि 328 मिश्र मोहनदास 424 यशोभद्र 68,70,72,80 रत्नसूरि 124,126,230,430 मुक्ति सागर यशोविजय 84,90,108,136,144 310 मुजादित्य रत्नसोम 152,160,166,176,178 मुनिचन्द्रमूरि 72,74,90,148,346 214,220,224,226,234 रत्न हर्ष 124,126,230 मुनिदेव (ज्ञानचंद-शिष्य) 268 238,244,248,256,262 रत्नाकर 146,242,258 मुनिदेवमूरि 334 272,278,280,284 रविसागर 198 मुनिमेख 114,290 रसिकनाथ 420 मुनिराज 298 राज कवि 144,226,286 मुनि सुन्दर 82,94,222 | (पाठक) रघुपति राजकीर्ति 148 " (रत्नचन्दगणि शिष्य) रङ्गविजय 244 | राजवल्लभ (पाठक) 302,320 मेघऋषि | रङ्ग विसङ्घ विसुत राजशील 168,170 मेघनन्द रतनचन्द 300 राज शेखर सुरि 298,398 मेधमुनि 230 / रतन मुनि 226,246 (मलधारी) राज शेखर सूरि 424 (वाचक) मेघराज 22 | रत्नचन्द्र (शान्तिचन्द्र शिष्य तपगच्छ) | राज समुद्र ___152,214 मेघ विजय 174,278,514 118,318 | राज सूरि 52,112,262,272 N. 276 " शिष्य 478 218 94 334 For Private and Personal Use Only

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