Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti

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Page 545
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट ] [ 529 25 26 27 पृष्ठ पृष्ठ 438 346 पृष्ठ (पाठक) राजसोम 154 316,396,438,496 | लालमोहन 344 राज हर्ष 256,286 | रूपचंदगणिशिष्य 198 | लावण्यकीति 212,328 राजहंस 336 रूपभद्र 284 लावण्य विजय 122 राजागाङ्क 504 | रुपविजय 200,238,286,318 | लावण्यसमय 108,118,224,270 राणीदानकव या 410 330,332,346,402 गमच'द्र 118,122,196,330,506 लुकमान हकीम 418 रामचन्द्रशृषि 390'398 लक्ष्मण 256 लोकेशकर रामचन्द्रमुनि 462,464 | लक्ष्मीदास 516] लोलिम्बराज 464 रामचन्द्राचार्य 428 लक्ष्मीधर 492 रामचन्द्राश्रम 438 लक्ष्मीरत्न | वखत 410 रामद वज्ञ लक्ष्मीरुचिकर 138 वज्रस्वामि 490 220,394 रामविजय 280,312,320,446 लक्ष्मी वल्लभ 34,36,74,102,226 | वरजाग 304 " (जिनलाभशिष्य) वररुचि 246,286,316,458 224 430,454 लक्ष्मी सूरि 202,256 वराहमिहिर " (जिनवल्लभशिष्य) 104,176 494,496 लक्ष्मीहर्ष वर्द्धमान " (विमलविजयशिष्य) 428 लब्धिचन्द्र 474 वर्द्धमानसूरि 122,180,330 " (सुमतिविजयशिष्य) लब्धिरुचि | वर्द्धमानोक्त 482 (वाचक) रामविजय लब्धि विजय 292 वाचक वल्लभ गणि रामानन्द स्वामी 392 लब्धिसागर वल्लभदेव 416,420,422 (ऋषि) रायचंद 140,278,302 | लब्धिमूरि | वल्लभ सुन्दर 244 314,322,328,332 ललितकीर्ति 286 | वल्लभ सूरि 180,238 रुचिरविमल 322 ललितसागर वसन्तराज 510 रुणदत्त 456 लाभगणि वाग्भट्ट 456 रुद्र भट्ट 464 लाभवर्द्धन 312,330,332 वादिदेवसूरि 178 रुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे 396,398 लाभविजय 258 वादिराज 216 रुद्रोक्त लाभसुन्दर 400 वासुदेव 436 रूडऋषि लाभसूरि 232,356 वासुनन्दि 88 रूपऋषि लालचंद 316,516 विजयगणि 416 रूपकवि 82,152,258 विनयतिलक 212,214 रूपचंद 108,238,258,314 | " यति 400 विजयदेव 256 322 246 486 336 320 172 486 262 258 82 | " ऋषि For Private and Personal Use Only

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