Book Title: Jodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Author(s): Seva Mandir Ravti
Publisher: Seva Mandir Ravti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याकरण :
[ 427
6
7
|
10
11
| 8 | A
9 26 x 11x17x25 | संपूर्ण 11
व्याकरण धातु सेट, सं.
15वीं
26x11x14x46
19वीं विक्रमपुर
25 x 11x5x42
20वीं
पंचपाटी/साथ में 2
पन्न सारस्वत के
26x12x19x77
19वीं
26x12x8x36
, 11 श्लोक
25x11x13x45
25x11x20x54 | अपूर्ण 8वें श्लोक तक
26x12x12x32
संपूर्ण
24x12x11x44
21 श्लोक
1881
xxxxxx
व्याकरण
25x11x11x34
1853
26x12x18x72
19वीं
26x12x13x60
1820
व्याकरण-शास्त्र
26x12x13x47
8 अध्याय
19वीं
28x14x12x38
27x12 x 31 x 82 | अपूर्ण चौथे अध्याय के
तीसरे पाद तक 26x11x14x44 , तीसरे अध्याय के
दूसरे पाद तक 26x12x12x52 प्रतिपूर्ण
20वीं
शब्दार्थ रूपी व्याख्या
व्याकरण
25x11x13x56 संपूर्ण
17वीं
26x11x15x45
अष्टम पाद तक | 19वीं
27x11x17x46
, 21 श्लोक
वर्णशास्त्र प्रथमपाठ
21x11x16x31
1690
व्याकरण
पति रूपसिद्धिनाम्नी
28x12x11x30 अपूर्ण 5 अध्याय 2 से 4 1521
पाद मात्र 27x11x16x43
19वीं
26x11x10x34 | संपूर्ण
18वीं
| 26 x 11x15 x 50
, ग्रंथान 250
| 19वीं ।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558