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महाकाव्य प्रादि साहित्यिक ग्रंथ :--
साहित्यिक महाकाव्य सं.
साहित्यिक ऐतिहा सिक
17
6
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13
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„
11
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11
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17
13
पत्नी गुणलक्षण मनाविज्ञान
33
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=
13
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7
93
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31
22
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मा.
,,
सं.
8
107
97
88
109
25
45
12
8
9
80
28x14 x 10 x 28
52,31, 23 से 25 x 11 से 12 5,12
119
330
246821 से 27 x 11 से 12
19
146
27 x 1 2 × 15 x 45
41,2825 x 11 व 28 × 1 3
26 × 1 1 × 17 × 60
17
75
9
8
15
8 A
75
www.kobatirth.org
28
22 x 9 x 10 x 36
15
27 x 11 x 11 x 36
27 x 11 x 11 × 39
28 x 18 x 14 x 12
26 × 10 × 19
27 x 11 x 13 x 36
× 60
29 × 11 x 10 x 40
26 × 11 × 1 8 × 47 पूर्ण 3 / 22 तक
25 × 1 1 × 13 x 36
24 × 11 × 16 × 53
91
26 x 11 x 14 x 51
17
संपूर्ण 19 सर्ग ग्रं. 2200 1469
19वें के 56 श्लोक 1553
तव
1642
11
31
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"
"1
27
11
"1
11
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केवल 57 श्लो. तब
मात्र 1/2 सर्ग
प्रथम 6 पन्न े कम बाकी संपूर्ण
संपूर्ण 19 सर्ग की
31
26 x 12 x 15 x 48
22 × 11 × 12 × 36 श्रपूर्ण 2 सर्ग तक हो
24 x 10 x 17 x 52
"
9
19 स
11
19वीं
17वीं
सर्ग 16 से अंत तक 1730
18वीं
26 x 11 x 15 x 52
15 × 11 × 15 × 15 संपूर्ण
15 x 25 x 20 × 22
26 x 11 × 12 x 32
17
प्रथम सर्ग के 75
श्लोक
11
9
12 वें सर्ग तक
प्रथम 2 ग्रंथों की पूरी मेघदूत पूर्ण
"7
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10
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19/20at
19वीं
19/20at
17वीं
1762
| 1890 से 20 वी प्रथम प्रति सावचूरि
है
1819
1890 जोधपुर
1884
17वीं
19वीं
15वीं
19वीं
1895
10 विलास 307
गाथा
केवल पहिला पन्नाकम 1704
(417
1795
11
जीर्ण प्रति
पन्न 328 से 372
(अंत)
रामविजय तपगच्छीय का शिष्य
प्रथम पन्ना 14
गाथा का कम