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जन तात्त्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[ 147
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7
| 8 |
8A
9
10
11
(गृहस्थ भी) सं.
34x16x8x70 | संपूर्ण 12 प्रकाश
19वीं
27x10x16x50 अपूर्ण 4 प्रकाश तक
1459
26x10x8x46
16वीं
25x12x11x32 अपूर्ण प्रथम प्रकाश 56 श्लो. 1694
26 x 11x13x42 अपूर्ण दूसरे 41 से अंत तक 17वीं
प्रकाश
27 x 11 x 13 x 40 अपूर्ण चार प्रकाश 17वीं 24 x 11 x9x32 | ., पांच से 12 (अंत) 1845 27 x 13 x 19x 66 | केवल पांचवां प्रकाश । | 19वीं 24 x 11 x 11x39 | , पहिले 55 श्लोक मात्र 19वीं 24x11x11/12 x 300 ,, पहिला प्रकाश मात्र 19वीं 27 - 11426 x 11 | बिल्कुल अपूर्ण 19 27 x 11x22 x 73 चार प्रकाश तक 462 श्लोक 1499 26 x 11x15x48 | अपूर्ण द्वितीय प्रकाश तक 19वीं 23 x 11x10x23 | संपूर्ण 108 गाथा. 19वीं 25x11x13x32 | संपूर्ण
1652 भिन्न भिन्न100 द्वारों
से जीविभक्ति 12x11x9x13 | | अपूर्ण
10 पन्ने खंरित हैं 26 x 12 x6 x 36 प्रतिपूर्ण 545 गा. 11825,मागवंड
धनरूप 25x11x9x30 | संपूर्ण 25 श्लोक 19वीं
तात्त्विक बोल
|सं.
तात्त्विक भक्ति
19वीं
धार्मिक श्लोक संग्रह प्रा.मा.
प्रोपदेशिक
गुटका | 16x13x15x24 अपूर्ण
18वीं
19वीं
सात्त्विक, भक्ति ।
जनसिद्धान्त
| संपूर्ण 29 गाथा 25 x 10 x 21x53 , चार स्तुति 1644 26 x 12 x 9 x 30
18वीं 26 x 12421 x 12 संपूर्ण
19/20वीं 26 x 12 x 16 x 33 संज्ञी मनुष्य द्वार तक 21 बोल 20वीं 25 x 13 x 13 x 35 | संपूर्ण 54 सर्वये 1876
11,13
24डक विचारवृत्ति मा. जीवगति पर्यायादि
प्रोपदेशिक
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