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जन तात्त्विक प्रोपदेशिक दार्शनिक :
[ 155
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8 |
8A
9
10
11
प्रौपदेशिक
26x11x11x40/ संपूर्ण 116 गा.
18वीं
(कहीं जयवल्लभ
भी नाम है)
6,3, 923से 25x11 x भिन्न ,, 116/125/116 गा. 19वीं 26 x 11 x 12 x 40 |, 116
19वीं 26 x 11 x 11x44 अपूर्ण गाथा 10 से 116| 19वीं
प्रत ता| | 26 x 12x11x38 | संपूर्ण 325 गा. (I.360) 15वीं | 25x10x9x31 ,, 342 गा. 16वीं
श्रावकाचार
13वां पन्ना कम
269 | 28x11x15x54 1, 8 प्रस्ताव ग्रं.12820 1676 को वह- 17वीं शताब्दी की
राई गई ही लगती है 16,12/ 26x11x13x35 ,344 गा. 19वीं 14
| 28 x 17x17x 36 | अपूर्ण 247 गा तक ही | 20वीं
30x12x17x55 | संपूर्ण
19वीं
प्रा.सं.मा| 382
26 x 12 x 15 x 56 | त्रुटक
16वीं 25 x 11 x 14 x 40 | संपूर्ण 6 प्रकाश ग्रं.6761 1658, वासा, प्रशस्ति है वृत्ति विधि
लक्ष्मण
कौमुदी 26x11x7x43
, 1802,सिवाणा, टब्बाकार ऋषिविजय
। विद्याविजय 27x13 x 13 x 53 | , , ग्रं.6760 1964 जोधपुर
गोपीकिशन 16 x 13 x 15 - 24 , 50 गाथा 18वीं 26 x 11 x 17x53 | ,
16वीं मूल प्राकृतानुसार 26 x 11 x 13 x 44 , ग्रं. 166 17वीं 27 x 12 x 14 x 49 | संपूर्ण
1846 उर्जपुर की नकल
बखतसुंदर 25x11x11x35 ,.
19वीं
23 x 11x9x34
अपूर्ण (पन्ने 3 से 11 अंत, 19वीं
27x12xभिन्न 2
संपूर्ण
19वीं
26x13x13x42
1903
27x12x16x42
1859
24x10x12x35
1888 जैसलमेर मूल प्राकृतानुसार 1906,सुभटपुर
उपकेशगच्छे
24x11x15x36
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