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जैन तात्त्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[ 165
7
| 8 |
8A
10
11
6 लोकस्वरूप
28x13x15x52 | संपूर्ण 367 गा./ग्रंथाग्र | 1847,अाद्रि- प्रशस्ति है
3520+यंत्रों के 2700/याणा,जिनविजय 25x11x12x44
16वीं
त्रुटक
24x10x11x40 अपूर्ण
16वीं
26x11x11x40
टक
1670
26x [1x7x24
8
अपूर्ण(131 से 286 गा.) 17वीं 35 25 x 11x4x48 ।। (176 गाथा तक)| 17वीं
26 x 12 x 13 x 35 ,, (204 से 358 गा.) 1794 23,13, 25से 27 x 11से 12 पांच पूर्ण छठी अपूर्ण 97 गा| 19/20वीं । पूर्ण प्रतियों की गा. 16,17,
278/323
13.11
22
26x13x13x36 | संपूर्ण 393 गा.
1938
151
16,161
12,11 23से 27x11से 12 , 283/378 गा. 19वीं 116,20,16, 25से 27x11से13 | चार पूर्ण, पांचवी अपूर्ण | 19/20वीं । पूर्ण प्रतियों की गा.
222 गा. | भिन्न 2 जगह 317/326 प्रा.मा. 51 | 25 x 11x5x33 | संपूर्ण 313 गा. | 20वीं
46,47,8| 25से28 x 10से 13 प्रथम पूर्ण अंतिम दो अपूर्ण| 19/20वीं , 29 26 x 13x11 x 40 संपूर्ण 317 गा. 1887
प्रा.सं.
22
26x11x15x43पूर्ण गा.206 से 273 तक 19वीं
57,30/25 x 12 x 5/18 x 45| संपूर्ण 393, 370 गा. का 19/20वीं | 97,33 26 x 11 x 9/13 x 40| प्रथम संपूर्ण 217, द्वितीय 19वीं
अपूर्ण 11 | 25 x 11x18 x 50 | अपूर्ण 49 गा. तक ही 19वीं
26x11x19x64
पूर्ण 276 गाथा की
16वीं
देवभद्र की वृत्ति के
अनुसार
संपूर्ण प्रति
17वीं
प्रौपदेशिक
18वीं
29 x 11x26 x 11 x 23 x 66 | संपूर्ण 36 गाथा 23 x 20 x 21 x 38 | , 50 गाथा 1544
26 x 11 x 11 x 41 | अपूर्ण 25 से 73 (अंत)गा| 1552 | 27 - 11 x 15 x 47 | सपूर्ण 76 गा./. 800 | 16वीं
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