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जैन न्याय :
[ 177
6
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8
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___ 10
11
8A 26 x 11x17x57 | संपूण
न्याय ग्रंथसं.
2
19वीं
खंडनवृति
| 26x13x16x44 |
19वीं
न्याय शैली भक्तिगीत,
19वीं
26 x 13x16 x 44 |, 4 स्तोत्र 27x13x15x53 || संपूर्ण
खंडन मंडन स्वपर
,
19वीं
समय
न्याय ग्रन्थ
26xllx13x43
,
ग्रंथान 2000
19वीं
26x12x14x42
किरणावली में से; पन्ने 10 व 11 कम मूल ग्रंथ की टीका
प्रशस्ति है
15 अध्याय
18वीं
21x11x7x20
19वीं
29x14x11-28
19वीं
जैन-न्यायानुसार
27 x 12 x 16x56
, 33 गाथा
19वीं
25 x 12 x 14 x 42 | संपूर्ण
18वीं
30x15x7x23
19वीं
* | 26x 13x16 x 44
19वीं
25x11x18x57
18वीं
46* | 26 x 13x16x44
19वीं
26x11x13x37
19वीं
न्याय ग्रन्थ
अपूर्ण (पन्ने 4 से 9) बीच के
नामादि का पता नहीं
पड़ा
मूलग्रंथ की वृत्ति है,
26 x 11x15x64 | , (पन्ने 10 से 15)बीच के 17वीं
न्याय ग्रन्थ
| 29x13x10x39 संपूर्ण
18वीं
गौतमसूत्र पर टीका
27x11x17x60
19वीं
28x12x16x63
15वीं
24x10x17x72 | अंतिम पन्ना मात्र प्रागम | 16वीं
परिच्छेद का 26 x 12 x 13 x 47 | संपूर्ण ग्रं. 1400 17वीं
न्याय तात्पर्य दीपिका
नाम्नी परेके ग्रंथान 3035
तीन परिच्छेद मूल ग्रंथ की टीका
न्याय ग्रन्थ
वपर सिद्धांत न्याय
26 x 11 x 17x61 | अपूर्ण
17वीं 26 x 11 x 17 x 55 | संपूर्ण ग्रं. 200 19वीं 37x13 x 17x35 संपूर्ण 6ढाले+कलश+दोहे| 19वीं
भक्ति/नयविचार
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