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स्तुति स्तोत्र स्तवनादि भक्ति साहित्य
ऋषभदेव भक्ति काव्य सं.
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93
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श्रौपदेशिक भक्ति कथायें भक्ति काव्य
सं.मा.
सं.
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27
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33
सं.मा.
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सं.
7
सं मा.
सं
4.
मा.
हि.
मा.
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23
15
8
8
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30
8
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43
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5,4,3, 24 से 31 x 11 से 15 9,66
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9, 5, 2 24 से 27x12 से 13
10
8A
25 × 12 × 12 × 26 संपूर्ण 44 श्लोक
26 x 12 x 23 x 55
24 x 11 x 13 x 49
26 × 11 × 17 x 54
25 × 12 × 13 × 31
25 × 11 × 15 × 48
27 x 12 x 15 x 60
स
25 × 12 × 17 × 35 संपूर्ण
26 x 13 x 5 x 26
4, 5, 6, 15 से 29 x 11 से 14 8,3,9
13
23 x 11 × 4 x 40
26 × 12 × 18 × 53
26 × 12 × 13 × 48
27 × 12 × 5 x 43
4, 4,214 × 9 व 27 x 12 (2)
26 × 11 × 13 × 39
26 × 11 × 19 × 47
24 × 12 × 12 × 34
22 x 17 x विभिन्न
13 x 12 x 10 x 10
गुटका
गुटका
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अपूर्ण ( 24 श्लोक तक )
प्रपूर्ण (41 श्लोक तक )
कथासह
17
44 श्लोक कथासह
44 श्लोक
44 श्लोक
9
सभी संपूर्ण
19at
19वीं
संपूर्ण 48 श्लोक
19वीं
44 श्लोक
19वीं
अपूर्ण (10वें श्लो. तक ही) 19वीं
संपूर्ण 44 श्लोक 28
20वीं
संपूर्ण 44 श्लोक
20वीं
प्रथम अपूर्ण शेष पूर्ण
19/20वीं
अंतिम प्रति अपूर्ण शेषपूर्ण
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कथासह
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10
1884 कुचामरण दौलत सुंदर
1887
19वीं
19वीं
19वीं
19वीं
4 काव्य, अंतिम में अन्य भी 19/20वीं
संपूर्ण ग्रं. 400
19वीं
संपूर्ण ग्रं. 758
संपूर्ण 28 कथायें
49 छंद
27 सर्वये
19वीं
19/20वीं
1714
1910
19वीं
1845
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पहिले दो पन्न भी
कम हैं
प्रथम में श्रावश्यक गाथा व द्वितीय में कल्याण मंदिर है ।
प्रतिमप्रति में कल्यारण मंदिर नवतत्व व 24 दंडक हैं।
अंतिम चन्द्रसूरि की सही प्रतिलिपि
1652 की कृति