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जन तात्त्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[ 171
6
7 8
8A
| 10
1778
प्रौपदेशिक सुभाषित्व सं.मा. 18
24x11x6x46
संपूर्ण 98 श्लोक
27x12x8x42
18वीं
27x11 x 13x40
18वीं
26x11x14x42
, 100 श्लोक
1811
26x11x13x40
1813
26x12x10x39
कथासह 1840 राजनगर
53
27x11x16x44
1847
26x11x13-47
1847
|
100,
1850
26 x 11x5 x 32 16 16, 22 से 28 x 9 से 13 9.9.10 20,8 13
सात पूर्ण पाठवीं, अपूर्ण| 19/20वीं
|,
9,7 | 27 x 11 व 14 x भिन्न | संपूर्ण 99, 100
19वीं
6,8,9, 25x12 26x11
.
100 से 103
19वीं
26,9,10 25 से 27 x 11 से 14 | , 100 श्लोक
19/20वीं
17,11. 23 से 27 x 10 से 13 पांच संपूर्ण, अंतिम अपूर्ण | 19वीं 11,12
सं.मा. | 15 24x13x6x42 पूर्ण 99 श्लोक 1877.वल्लभी
दर्शनविनय 26x 13x4x40 , 101, 1956,जोधपुर
फतेकरण 25x13x10x45 |, 100 , 1941 11,19, 25 x 11 x भिन्न 2 | प्रथम 2 संपूर्ण अंतिम अपूर्ण 19वीं
21] | 7 27x12 x 15 x 48 | अपूर्ण, गुरु भक्ति द्वार तक 19वीं
30, 426x11x15/11 | प्रथम पूर्ण द्वितीय अपूर्ण 6] 19वीं
श्लोक
35
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