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जैन तात्त्विक, श्रोपदेशिक व दार्शनिक :
विविध धार्मिक विषय प्रा.सं.
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6
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11
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27
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33
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लौकिक धर्म
जैन दर्शन सारांश व प्रा.मा.
कर्मसिद्धान्त
11
विविध धार्मिक विषय प्रा.सं.
बोल
जीव ग्रायु विचार |
प्रोपदेशिकादि
श्रीपदेशिक
मा.
श्रौपदेशिक जैन
प्रा.मा.
11
चार अनुयोग
प्रा.सं.मा 4
7
मा.
"
मा.
13
प्रा.सं.मा 56 *
सं.
सिद्धान्त प्रा.
मा.
स.मा.
सं.
=
23
23
मा.
विधि विचार कथा सं. संग्रह तात्त्विक पारिभाविक प्रा.सं. उद्धरण श्रीपदेशिक यति
प्राराधना
111
9
8
15
6
13
78
56
150
83
8*
59
1
24*
117
40
सं.मा. 13
42
4
117
30
प्रा. गुटका
हि.
3*
8 A
www.kobatirth.org
26 × 11 × 21 × 60 प्रतिपूर्ण
26 × 11 × 10 × 25
26 x 10 x 20 x 54
31 x 11 x 20 x 60
26x11 x 6 x 48
31 x 11 x 19 x 44
28 x 13 x 4 x 32
26 x 11 x 17 x 51
24 x 10 x 16 × 48
30 x 12 x 19 x 86
25 x 11 x 14 x 34
30 × 11 x 16 x 44
26x11 x 15 x 42
त्रुटक
27 × 12 × 16 × 50 संपूर्ण
25 x 12 x 3 x 28
26 x 11 x 15 × 33
26 × 11 x 15 × 51
25 x 12 x 16 x 32
28 x 13 x 13 x 31
11
26 × 11 × 15 x 50
प्रतिपूर्ण
27 × 12 × 1 4 × 42 संपूर्ण
22 x 19 x 22 x 32
91
37
33
31
संपूर्ण 304 गा.
207 TT.
"
33
11
"
37
31
9
46 गा.
25 अध्याय
25 HT.
144 गा.
13
अपूर्ण पांच उल्लास तक अपूर्ण 52 छंद
संपूर्ण ग्रं. 2800
140 विचार
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19वीं
16at
, 12 उल्लास ग्रं. 4321 1698 सोनगिरि,
विमल
संपूर्ण 12 उल्लास
17वीं
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10
16at
1766
19वीं
19वीं
19वीं
19at
19at
19वीं
18वीं
1892 राधनपुर वल्लभविजय
17 at
1733
1814
1671
1745
26 x 13 x 13 x 31
2 3 × 20 × 21 × 38 लगभग पूर्ण (7 से 115 गा | 1544
(अत)
26 × 11 × 23 x 55
अपूर्ण 22 गा.
20वीं
[ 151
11
अंतिम 2 पन्ने शास्त्र
उद्धरण
शास्त्रों के उद्धरण
19वीं
19वीं
1933 मुंबई 1502 की कृति, नानचंद्र प्रशस्ति है 1873 बीकानेर बीजक सह
कुशल मुनि