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जैन श्रागम अंग बाह्य चूलिका व मूल सूत्र
जनागम-प्रतिम उपदेश
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प्रागम व्याख्या
साहित्य
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6 27 x 12 x 17 x 42
2 26 x 11 x 13 x 40
28 x 12 x 15 x 42
30 x 10 x 5 x 36
22 25 x 10 x 12 x 30
3 | 26 × 11 × 9 x 40
4,7 27 x 12 x 9 × 30
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40 27 × 10 × 16 × 48 संपूर्ण
105 27 x 18 x 17 x 48
26 x 11 x 15 x 48
अपूर्ण
25 × 11 × 14 x 42 सं. 25 वें प्रध्याय तक
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15 × 9 x 9 × 48
गुटका 19 x 13 x 13 × 23
प्र केवल 32 अध्य.
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19वीं
19वीं
नमिप्रव्रज्या,
19वों
6ठे अध्य. तक
20वीं
मृगापुत्र प्र. 99गा. 19वीं
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27 × 13 × 15 × 44 सं. मूल व नियुक्ति पर ग्र5990
36 मध्य की
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अध्या. 3/14 तक 20वीं
प्रनायी मुनि श्रध्या 20वीं
त्रुटक 9मोर 36 ग्रध्य 20वीं
19वीं
1964 नागौर
जीवराज
1581
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25 वें अध्या. तक की
त्रुटक उदयन कथा तक 19वीं
19 × 11 × 11 × 31 संपूर्ण 36 प्रध्या की
26 × 12 × 11 × 26 अपूर्ण 5 से 36 तक 1847 प्रातर| मुवागुलाबचढ केवल नमिराजर्षि की 1847 7 ढालें
24 x 11 x 17 x 36
सं. 36 श्रध्य. की
10
1713 सिणोरापाटक प्राकृत को सस्कृत विवेकरुचि की गई 1137 की
रचना
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1926
1811
1878
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पन्ना सं. 4 नहीं है