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जैन अागम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक -
[ 99
11
11
6 7 8 | 8A
9 10 कर्म सैद्धांतिक साहित्य प्रा.मा. | 1325x11 x 17x58 अपूर्ण पहिला व चौथा दोनो 17वीं
7 से 19 बीच के पन्ने
106 | 25x12x15x38 संपूर्ण
18वीं
28,11| 33x17426x11
19वीं
25x10x13x3:
1736
साथ में सोधसत्तरी
91 . ग्रंथाग्र 1882
प्रा.सं.
89
18वीं
26x11x13x45| अपूर्ण प्रथम के 48 से
अंत तक | 25x12x3x36 | संपूर्ण 119 गाथा का
प्रा.मा.
1873
प्रा.सं. | 15
26x11x20x66 संपूर्ण
19वीं
प्रा.मा.
20
1853
26 x 13 x 3x33 | संपूर्ण 94 गाथा 25 x 12 x 9 x 34 | , 87 ,,
19वीं
प्रा.सं.
196XIIx15x44 | सपूर्ण 60 गाथा की
1421
प्रा.
3
26x11x IIX37
.60 गाथा
17वीं
प्रा.मा.
।
25x12x5x32
1825
25x11x18x48
1834
19वीं
25 x 1 3 x 11 x 35 | 25 x || x 3 x 35 अपूर्ण 52 गाथा तक
प्रा.मा.
| 19वीं
25x1x18x47 संपूर्ण
17वीं
26x11x13x42
,259 गाथा
19वीं
19वीं
28 x 13 x 11 x 34 | 26 x 12 x 17x58
19वीं
26 x 11x5x51
19वी
प्रासं ।।।
26x13x9x3||
174
26x11x4x27
25x11x11x31
24
,
19वीं
26x12x3x35
... केवल पांचवे की। 19वीं
गा. व.म 86 गाथा
25x11x16x63
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