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जैन तात्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[ 119
6
10
11
7 सं.
8 | 8A
9 21,6 26 x 12 x 4/13 441संपूर्ण 10 अध्ययन
तात्विक
19वीं
दूसरी प्रति में उमा
स्वाति पट्टावली
24x12x15x30 | अपूर्ण
19वीं
27x13 x 14 x 50 | त्रुटक
1969
बीच में कई पन्ने
कम हैं
प्रौपदेशिक
26x13x16x30 |
1953
अध्यात्म शत्रुवर्णन
25x12x11x35 |
1910
,
27x13x
दो नकलें
20वीं
चक्रवर्ती रत्न व
महापदवी
27x12x14x43
20वीं
25x12x12x33
1872
25x11x14x42
21 गाथा
19वीं
प्रोपदेशिक
26x11x10x40
, 14 ,,
19वीं
16x11x22x63
, 7 विचार ग्रं. 65 | 18वीं
दार्शनिक
27x11 x 17 x 385 समय पूरे छठा अधूरा 16वीं
74 तक | 27x11 x 15 x 65 | संपूर्ण 4 तत्व (265 गाथा) 16वीं
प्रा.
6
1 2 3 4 | 26 x 12x16 x 61 | संपूर्ण(देव,मार्ग,साधु जीव) 18वीं
ग्रं. 4250 | 27 x 13 x 19 x 54 , ( , ) ग्रं.4000 1907 | 27 x 12 x 14 x 41 |,, ( , ) ग्रं.3800 1958
26 x 12 x 11 x 37 | संपूर्ण 70 गाथाएं । 16वीं
विगतवार प्रशस्ति है
26x11x11x47
19वीं
प्रा.सं.
प्रा.मा.
सैद्धान्तिक ऐतिहा- मा.
सिक 10-10 के 35
बोलताविक प्रौपदेशिक
27x5x13x48
19वीं
कथासह प्रशस्ति में 26x12x14x37 | अपूर्ण 29 गाथा तक
19वीं
रत्नचद के 10 अन्य
ग्रन्थ नाम 25x11x35x24 संपूर्ण
18वीं चेटक की 7 पुत्रियों
का वर्णन भी 22x12x14x24 प्रतिपूर्ण
1970,फलोदी,
गणेशलाल 27x 12 x 12x37 | संपूर्ण 12 प्रकाश ग्रं.6675 1958 जोधपुर| विगतवार प्रशस्ति
__छैलाराम ||
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