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जैन तात्त्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :--
[ 97
____ 6
8
8A
9
10
11
जैन धार्मिक शोक प्रासं मा. 12
1 26x11x6x34
भिन्न 2 पन्ने
18/19वीं
ग्रोपदेशिक दृष्टांत सं.
| 27 x 12 x 15 x 55 संपूर्ण 157 कथानक - 1569 26 x 11 x 15 x 55 | अपूर्ण 69 काव्य-कथायें 18वीं 26 x 11 x 17 x 54 संपूर्ण 52 श्लोक 18वीं
प्रौपदेशिक
प्राचीन कर्म ग्रन्थ ।
कर्म सैद्धान्तिक साहि- प्रा.सं. 20 27x11x15x43 . 168 गाथा की 1580
922 प्रा. " 27 x || x 22 x 66 | , (168 4:6 --- | 19वीं
241-86+15 गा प्रा.स 1826x11x17x46 संपूर्ण 86 गाथा ग्रं 850 17वीं
.., ., 1-4+
अंतिम पन्ना कम
प्रा.
1826x12x13x38
.,
(61+34+24 1592 +86-1-100+ 93 गाथा)
| 2 3 (विपाक, स्तव, बध
स्वामित्व पड़गीति, 56 शतक, सप्तति)
प्रा.नं. 17226x 11-17x50 संपण अतिम पन्ना कम) 16वीं
26 x 11 x 16x66 , ग्रंथा. 101 37 (1| 1621
से 5 के) ,3880 छठे के 26 x 11x13x44 | संपूर्ण 396 गा. 1756
प्रा.मा.
25x12x4x42
1818
प्रा.सं.
46
| 25x11 x 11 x 37 | ,, यंत्रतालिका सह | 1820 विक्रम- अचूरि देव गुप्त
पुर बखतसुदर शिष्य की है ? 26x12x || x33 | संपूर्ण
1825
प्रा29
प्रा.मा
318
25x13x15x37
. 396 गाथा का
1858
प्रा.
1896
22 26 x 13 x 12 x 40 | 45.17 28 x |426 x 11
20 x 12x4 x 36
19वीं
19वीं
11 x 26x5x41
19वीं
प्रास
26 x 11 x 10 x 53
1481
प्रथम पन्ना कम है
20 गाथा
प्रा.
29x15x11x27 | चार पूरे पांचवां 73 तक 19वीं
प्रा.मा. | 31
24x12x9x31
संपूर्ण
19वीं
|..
47
28 x 14x7x21
19ीं
बार्थ प्र ग्रं. तक ही
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