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जैन आगम अंग बाह्य प्रकीर्णक :
भक्ति
19
"1
37
"1
11
11
"
"
33
11
"
11
"
"
आगम व्याख्या
13
二
6
,
साहित्य
27
=
A
23
प्रा.मा.
प्रा.
"1
प्रा.मा.
17
प्रा.
"1
"
प्रा.मा.
प्रासं.
प्रा.मा.
=
11
=
"1
प्रा.
7
प्रा.मा.
31
मा.
सं.
1:
प्रा.मा.
प्रा.
"1
पंत समय आराधना प्रामा.
प्रा.
=
5
4
3
5
7
5
3
9
6
12
8
7
11
2,3,2
6
10
2
8
188
2
33
37
8
6
3
1
8A
www.kobatirth.org
25 x 11 x 15 x 57
25 x 11 x 6 x 40
27 x 11 × 9 x 38
26 × 11 × 12 × 46 संपूर्ण 63 गाथा
26 x 11 x 6 x 44
25 x 11 x 9 x 34
26 × 11 × 18 x 60
30 x 11 x 6 x 28
25 × 11 × 6 × 31
26 x 12 x 18 x 55
25 x 11 x 5 x 35
25 × 11 × 4 x 38
21 x 12 x 5 x 26
25 से 30 x 11 से 16
25 x 11 x 7 x 33
26 x 12 x 4 x 33
26 × 12 × 17 × 47
25 × 11 × 11 × 40
26 × 11 × 18 × 65
26 × 11 × 6 × 33
26 × 11 × 15 x 44
26 x 12 x 14 x 43
26 x 11 x 6 x 37
26 × 11 × 13 x 34
26 x 10 x 21 x 68
11
संपूर्ण 60 गा.
17वीं
पहिले पन के 8 गाथा कम 17वीं
17वीं
""
"3
"
:
:
:
19
"
39
91
"
"
15
"1
17
9
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"
"
63 T.
13
63 गाथा का
की
संपूर्ण का
संपूर्ण ग्रं. 5000
प्रतिपूर्ण
संपूर्ण ग्रंथाय 1188
1260 गाथा
223
70
का
"
63 गाथाये
68
11
"
For Private and Personal Use Only
का
"
62 गाथा का
63 गाथा का
62 से 64 गाथाये 19वीं
20वीं
20वीं जोधपुर
उदयसागर
20वीं
"1
"1
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
"1
17
10
1700
1844 x
19वीं
19वीं
19वीं
19वीं
18वीं
18af
18aff 'जयपुर साथ में पर्यंत श्राराधना 70 गा
सूर रत्न
भारणचंद्र
1893
19वीं
1957
1691
11
19वीं
20वीं
1596, सुल्तान
पुर, जोगोबल
17वीं
17at
(79
चन्द्र सूर्य मंडल
विचर