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जैन आगम-अंग बाह्य-पावश्यक सूत्र :
[ 77
6
7
8
9
10
8A | 27x11 x 13 x 49 संपूर्ण
18वीं
आवश्यक व्याख्या | मा.
साहित्य
24x11x16x42
19वीं
आवश्यक क्रिया सूत्र प्रा.
26 x 12
x11x40
, 27 गाथा
16वीं
देवेन्द्र सूरि का नहीं है
276* 25x12x20x56
18वीं
प्रा.सं. | 16
25 x 11
18x60
ग्रंथान 800 वृतिये 1829
26- 12x17x40
1750
1900
19वीं
30x16x16x43
| " ,750 26 x 11 x 14x46 | संपूर्ण ग्रंथान 800
16वीं
आवश्यक व्याख्या
साहित्य
26 x 11x21x86
, 750
19वीं
अावश्यक क्रिया सूत्र
20x12x9x22
20वीं
25x11x13x40
प्रतिपूर्ण
19वीं
25x11x11x42
,
19वीं
25x11x10x38 |
19वीं
26x11x11x38
19वीं
14 नियम के भी पाठ
माथ मे
जैन आगम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक :
प्रकीर्णक पागम सूत्र प्रा.
26 x 12 x 11 x 40 | संपूर्ण 83 गाथायें
| 17वीं ..
25x11x11x36
18वीं
27x11x13x50
19वीं
सार में भक्त परिज्ञा
गा. 145
27x12x10x30
79 गाथा..
20वीं
संघ व्यवस्था
प्रा.सं. | 140
26 x 11 x 15 x 37 26 x 11 x 18 x 52
भक्ति
137 गाथा की ग्रं 18वीं 3 पन्नों में प्रशस्ति है
5850 , 63 गाथा की 1524,श्री पट्टन
धन्ना ,, 62 ,, की 17वीं
26 x 11x7x 32
26x11x11x50
66 गाथा
26 x 11 x 10 x 33 | , 63 गा.
17वीं 17वींमहिमावती उत्तम ऋषि
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