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जन प्रागम-अंग बाह्य-वृलिका व मूल सूत्र
153
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8A
8A
9
10
11
मा.
जैनागम-व्या- ख्यान साहित्य
माथा सहित
79 / 27x11 x 13x45 किंचित् प्रारंभ में अपूण 17वी
5 पन कम 61 | 26 x 12x15x 48 सं.10प्रध्य ग्र.2600/ 1785 15 | 27x11 x 15x38 अपूर्ण 4थे प्रध्य. तक 19वीं 325 x 11 x 15 x 49 / संपूर्ण 12 सज्झाय | 1763
पद्य मय सारांश मा.
25x1x10x36/ लगभग पूर्ण
18वीं
अतिम पन्ना कम
25 x 12 x 13x34
सपूर्ण 11 सज्झाय
19वीं
23x11 व 25x13
, 11
20वीं
"
,, 11
प्रथम पत्रा कम
प्रा.
जैनागम-ग्रंति
उपदेश
1426x11 x 15 x 40 , 12 , 1850 728x12 x 12x39
1904 8 26 x 12 x 13x32 लगभग पूर्ण | 1828 27x11x15x35 सं.प्र. 21944.36
1484मूली ग्राम,भट्ट
शिवाणी 26x11 x 11x35 , 8260
18वीं | 28x12x6x36 लगभग पूर्ण (36वां। 16वीं
कुछ कम) 26x11x6x40 | संपूर्ण 36 अध्ययन 1619
27x11x14x43
1623
26 x 11x 13 x 50 , 5 6250 1657 25x11 x 15 x 45 , प्र. 14000 1666 26 x 11 x 15 x 50 | सं.प्र. 2000प्रध्य 36 17वीं 33 x 13 x 13x 61
अपर नाम देवेन्द्र गरण सुखबोत्रीनाम्नी पत्ति
17वीं
जीर्ण
| 26x11x4x33 | सं. 36 प्रध्य,
1767,x | जेठाखीमसी
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