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जैन प्रागम-अंग बाह्य-चूलिका व मूलसूत्र
[ 47
8A
जैनागम-ज्ञान
प्रा.मा.
104
26 x 13x15x28 | संपूर्ण
| 1888
25x12x8x44
19वीं
| 25x 12 x 6x 35
27 x 13x12x 61
1943,x, वासुदेव 1963
प्रा.सं.
प्रा.
24x12x16x59
1957
प्रा.मा.
24x11x19x50
1985 नागौर 1607
प्रा.सं.
पन्ने 78से147
18/19वीं
29x 12 x 16x63 अपूर्ण (प्राधाभाग
पिछला) | 26 x 11 व 11x9 मूल के उद्धरण | 26 x 11x15x50 संपूर्ण प्र.8105
26 x 11 x 13x42 | अपूर्ण
नैनागम व्याख्या सं.
साहित्य
18वीं
19वीं
26x12x15x37
19वीं
जैनागम व्यारुवान पद्धति
जीगर्ग
81 26x11x9x30स गा.1604/7 2005 17वीं
गली,भागचंद्र 36 26 x 1 x 13x47 संपूर्ण प्र. 1399 1519
27x10x13x54 लगभग पूर्ण . 51 28 - 12 x 13x41, संपूर्ण अ. 160417
प्रा.सं
160
27x11x15x50
प्रा.मा.
83 26 x 12 x 5 x 64
जैनागम-प्राचा- प्रा.
27x9x8x54
1704 किचित् प्रवचुरि
भी है , प्र. 1417 का 1836 पाली | जीर्ण
टीकमदास सं. 10 अध्य-21 15वीं बीच में कुछ . चूलिका
पन्न कम हैं , 1620 , 700 ,, 17वीं
रादि
1 1626 x 11 x 16x50 प्रा मा. 49 26 x 1 x 6x44
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