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जैन श्रागम अंग बाह्य तथा चूलिका व मूलसूत्र
कल्पसूत्र - व्याख्यान
".
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C
"
कल्पसूत्र का सारांश
"
छेद सूत्रागम साहित्य
27
छेट सूत्र
11
33
6
--
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D
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=
17
וי
साहित्य
मा.
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"3
-
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STT.
प्रा.सं.
STT.
12
"
प्रा. मा
जैनागम ज्ञान पर प्रा.
7
प्रा.सं.
"3
".
1)
प्रा.मा.
8
14
22
84
61
26 x 10 x 13 x 50
केवल 3री वाचना
19वीं
5 27 × 11 × 17 x 44 | केवल 9वीं वाचना भी अधुरी
19वीं
59 | 26 × 12 × 10 × 32 पूर्ण
19वीं
17
25 × 11 x 13 x 33
महावीर पूर्व भव
19वीं
तक
3
26 × 11 × 10 × 33 3री वाचना भी अधूरी 20वीं
28 × 13 × 12 × 36 संपूर्ण 10 व्याख्यान
1935
30 x 16 x 15 x 40
प्र. 3218
1940
www.kobatirth.org
139
8A
129
26 x 13 x 15 x 44
27 x 13 x 19 x 51
551 24 x 14 x 13 × 38
""
17
29 x 16 x 18 x 41
160 27 x 11 x 13 x 38
99 126 × 12 × 13 × 55
40 26 × 11 × 7 x 46 अपूर्ण6, 7वां मध्य मात्र 19वीं
37
26 x 11 x 7 x 27
संपूर्ण 306 गाथायें 17वीं
19वीं
" की ग्र. 6602
20 वीं
शहरदान
19वीं
31
31
71
33
"
"
29 | 27 × 11 × 11 x 40 | संपूर्ण
41 | 27 × 11 ×6 x 45
38 | 26 × 11 × 7×51
9
37
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प्र. 3125
प्र. 4504
27
"
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
17
105 गाथा की
10
1940
1784
चतुर हर्ष
19वीं
17वीं
1724
18वीं
[ 45
11
मूल संक्षिप्त जिनचंद्र का