Book Title: Jaipur Khaniya Tattvacharcha Aur Uski Samksha Part 1
Author(s): Vanshidhar Vyakaranacharya, Darbarilal Kothiya
Publisher: Lakshmibai Parmarthik Fund Bina MP

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Page 18
________________ २० जयपुर (ग्वानिया) तत्वचर्चा और उसकी समीक्षा श्रद्धांजलि , सद्भावना और शुभकामना १. सानिया तत्त्वचर्चा के प्रथम और द्वितीय दौर खानिया में संघ सहित विराजमान श्री १०८ आचार्य शिवसागरजी महाराजके तत्त्वावधान में सम्पन्न हुए थे । उनका अब स्वर्गारोहण हो गया । उनके प्रति मैं भक्ति और विनयपूर्वक हार्दिक श्रद्धांजलि समर्पित बारमा हूँ। २. तत्त्वचर्चाको त्र्यवस्थित रूप देनेके लिए दोनों पक्षोंकी सम्मतिसे श्री . वंशीधर न्यायालंकारको मध्यस्थ निर्वाचित किया गया था। वे भी हमारे बीच नहीं है । तथा तस्वचमि अपरपक्षके निर्वाचित प्रतिनिधि सर्वश्री पं० माणिकचंद्रजी न्यायाचार्य, पं० मक्खनलालजी न्यायालंकार और पं० जीवन्धरजी न्यायतीर्थ भी स्वर्गस्थ हो चुके है । इन सब महाविद्वानोंके प्रति मैं हार्दिक सद्भावना प्रगट करता हूँ। ३. तत्त्वच के आयोजनमें तन, मन और धनकी पूर्ण शक्ति लगानेवाले अ० सेठ हीरालालजी पाटनी निवाई भी स्वर्गस्थ हो चुके हैं, उनके प्रति भी मेरी हार्दिक सद्भावना है । ४. सि० र०म० पं० रतनचन्द्रजी मुख्तार सहारनपुरका भी स्वर्गवास हो चुका है । मुख्तार सा० महान आगम ज्ञानी थे और अपरपक्षके तो वे प्राण ही थे। तत्त्वचा अपरपक्षकी सामग्री तैयार करने में उन्होंने बेजोड़ श्रम किया था । तत्त्वचर्चाकी समीक्षका यह प्रथम भाग उन्हें समर्पित करके मैं उनके प्रति हार्दिक सद्भावनाके साथ अपनी कृतज्ञता प्रगट करता हूँ। ५. सौनगढ़के सन्त श्री कानजी स्वामीका भी स्वर्गवास हो चुका है। वे सोनगढ़ विचारधाराके संस्थापक और आधारस्त थे । मैं उनके प्रति भो हार्दिक सद्भावना प्रगट करता है। ६. तत्त्वच में सक्रिय भाग लेनेवाले सर्वश्री पं० राजेन्द्र कुमारजी मथुरा और पं० अजितकुमारजी शास्त्री दिल्ली तथा दिल्ली में प्रतिशंका तीनकी तैयारी में सहयोगी श्री पं० श्याचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री सागर भी हमारे बीच नहीं हैं । इन सबके प्रति भी मैं हार्दिक सद्भावना प्रगट करता हूँ। ७. तत्त्वचर्चाक अवसरपर खानिया अपरपक्षकी ओरसे उपस्थित सर्वधी पं० जुगलकिशोरजी मुख्तार दिल्ली, पं० इन्द्रलालजी शास्त्री जयपुर और पं० परमानन्दजी शास्त्री दिल्ली उपस्थित थे । इनका भी स्वर्गवास हो गया । इन सबके प्रति भी मेरी हार्दिक सदभावना है । ८. मैं तत्त्वचर्चामे अपरपनके अन्यतम प्रतिनिधि श्री पं० पन्नालालजी साहित्याचार्य और तत्त्वच - मैं सक्रिय भाग लेने वाले बाबू नेमिचन्दजी वकील सहारनपुरके दीर्घ जीवनको शुभकामना करता हूँ । ९. मैं सोनगपक्षके प्रतिनिधि सर्वश्री पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री वाराणसी, पं. जगन्मोइनलालजी शास्त्री कटनी और पं० नमिचन्द्रजो पाटनी आगराके भी दीर्घ जीवनकी हार्दिक शुभकामना करता हूँ। ये हो तत्वचर्चाकी आघारभूमि थे। यदि ये तत्वचर्चाम सम्मिलित न होते तो सत्त्वचर्चाका आधार ही कोई नहीं रहता। १०. तत्त्वचर्चाफ आयोजक और व्यवस्थापक श्री ७० लाडमलजी जयपुरवा तत्त्वच में योगदान अत्यन्त सराहनीय रहा । मैं उनके भी दो जीवनको हार्दिक शुभकामना करता हूँ। ११. श्री पं० कैलाशचन्द्रजी सिद्धान्ताचार्य वाराणसी भी तत्त्वचर्चाके अवसरपर तटस्थभावसे खानिया में उपस्थित थे तथा उभयपके अनेक विद्वान् और श्रीमान् तत्त्वच क अवसरपर सम्मिलित हुए थे । इन सबके दीर्घ जीवनकी भी मैं हार्दिक शुभकामना प्रकट करता हूँ।

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