________________
(च) है । आशा रखता हूँ कि ऊपरके वास्तविक खुलासेसे पुनर्विवाहके प्रलापकोंको सत्य जाननेको मिलेगा, और वे अपने जीवनमें परिवर्तनकर शुद्ध ब्रह्मचर्यकी तरफ पूर्ण दत्तचित्त होकर सत्यके ग्राहक बनेंगे। अस्तु ।
अंतमें इतनी नन सूचना करना उचित जान पड़ता है कि, एक बार इन चरित्रोंको शुरूसे आखिर तक जरूर पढ़ जाना चाहिए । सम्पूर्ण पढ़नेके बाद विचार स्थिर करने चाहिए। ऊपर ऊपर पढ़नेसे पढनेमें आनंद नहीं आता है और कई बार मिथ्या कल्पनाएँ भी घर कर जाती हैं । जिनेश्वरोंके पुनीत चरित्र पढ़नेसे आत्माका कल्याण होता है यह बात फिरसे कहनेकी जरूरत नहीं है।
श्रीयुत वर्माजीने जैसे चौबीस तीर्थकरोंके हिन्दी भाषामें सुंदर और उपयोगी चरित्र लिखकर प्रकाशित कराये हैं, वैसे ही शेष ३९ महापुरुषोंके चरित्र भी शीघ्र ही लिखकर प्रकाशित करावें ऐसी मेरी साग्रह सूचना है। ___ चौबीस तीर्थंकरोंके चरित्र लिखकर वर्माजीने संसारपर और खासकर हिन्दी समाजपर महान् उपकार किया है। इन चरित्रोंद्वारा उन्होंने साहित्यकी एक बहुत बड़ी कमीको पूरा किया है, इसके लिए उन्हें धन्यवाद है।
कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचंद्राचार्यने संस्कृतमें 'त्रिषष्टि शलाका पुरुषचरित्र' नामका एक बड़ा सविस्तर ग्रंथ लिखा है । उसको ही सुंदर सफाईदार टाइपोंमें, निर्णयसागरके समान सुप्रसिद्ध प्रेसमें ऊँचे ब्ल्यु कागजोंपर छपाना स्थिर किया गया है। पूज्यपाद प्रातःस्मर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com