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८८ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएँ चल पड़े। राजा श्रेणिक, पत्नी व बुद्धिमान पुत्र को पाकर अत्यन्त आनन्दित हए । राजा श्रेणिक ने भव्य समारोह के साथ नन्दा को अपनी पटरानी बनाया। रानी दीन-दरिद्रों को सेवा, धर्मोपदेश, ईश्वर की आराधना तथा सत्कार्यो में अपना जीवन व्यतीत करने लगी।
एक समय तीर्थंकर महावीर के उपदेशों का प्रभाव रानी नन्दा पर बहुत गहरा पड़ा । उसने राजा श्रेणिक से दीक्षा लेने की अभिलाषा प्रकट की। श्रमणोपासक राजा श्रेणिक ने सहर्ष स्वीकार कर राज्योचित्समारोहपूर्वक रानी नन्दा को तीर्थंकर महावीर के समवसरण में प्रेषित किया। यहाँ सर्वज्ञ प्रभु के पास नन्दा ने भागवती दीक्षा ग्रहण की । इन्हीं की प्रेरणा से राजा श्रेणिक को अन्य रानियों ने भी दीक्षा अंगीकार की ( जिसका विवरण आगे दिया गया है ) इन्होंने सामायिक आदि ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। साध्वी संघ की प्रमुख आचार्या चन्दना के संघ में सम्मिलित होकर अनेक प्रकार की उग्र तपस्या कर कर्मों का क्षय किया। बीस वर्षों तक चारित्रपर्याय का पालन तथा दो मास तक संथारा कर सभी कर्मों का क्षय करते हुए मोक्ष की अधिकारिणी हुई । नन्दा के साथ ही श्रेणिक की अन्य रानियों ने भी दीक्षा ग्रहण की-२. नंदमती, ३. नंदोतरा, ४. नंदिसेणिया, ५. मरूया, ६. सुमरिया, ७. महामरूता, ८. मरुदेवा, ९. भद्रा, १०. सुभद्रा, ११. सुजाता, १२. सुमना, और १३. भूतदता आदि ने भगवान् के साध्वी संघ में प्रवेश किया।
श्वेताम्बर परम्परा में चेटक की पुत्रियों का उल्लेख चेटक की पुत्रियों चेटक के जामाताओं उनकी राजधानी के नाम के नाम
के नाम प्रभावती
उदायन
सिंधु सौवीर पद्मावती
दधिवाहन
चम्पा मृगावती
शतानीक
कौशाम्बी शिवा
चण्डप्रद्योत
अवन्ती ज्येष्ठा
भगवान् के भाई कुण्डग्राम
नन्दिवर्धन सुज्येष्ठा
(साध्वी बन गई ) चेलणा
बिम्बसार (श्रेणिक ) मगध स्रोतः-त्रिषष्टिशलाकापुरुष, पृ० १११
उद० भगवती शतक-७, पृ० १२१ चेटक की सात पुत्रियों का वर्णन १. एम. सी. मोदी-अंतगडदसासूत्र, अनुत्तराववाइय-वर्ग-१
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