Book Title: Jain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Author(s): Hirabai Boradiya
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 361
________________ २९४ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएं साध्वी श्री कासाजी इनका जन्मस्थल मन्दसौर और पिता का नाम श्री तिलोकचन्द जी और माता का नाम जोताबाई था। साध्वी श्री सोना जी से दीक्षित होकर ज्ञान और विनय की प्रतिमूर्ति बनीं। इनका विचरण स्थल मालवा, मेवाड़, बागड़ आदि प्रान्त रहा। सं० १९४५ में पैतृक ग्राम आकर संस्थारा द्वारा स्वर्गवासी हुई। इनकी निम्न शिष्याएँ थीं ( १ ) श्री मथुरा जी ( २ ) श्री सरसा जी ( ३ ) श्री कस्तूराजी और (४) श्री हगामकुवर जी। साध्वी श्री फूलकुवरजी मालवा प्रान्त के गौरवी ग्राम में पैदा हुईं। श्री बालचन्द जी इनके पति थे । २५ वर्ष की तरुणावस्था में श्री दौलत ऋषि से दीक्षित होकर सं० १९७१ के फाल्गुन मास में साध्वी श्री सरसा जी की शिष्या बनी और शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त किया। ___वि० सं० १९९२ में आषाढ़ शु० ११ (एकादशी ) के दिन प्रतापगढ़ में इनका स्वर्गवास हो गया। साध्वी श्री हगामकुवर जी ये प्रतापगढ़ के श्री माणकचन्द चंडालिया की धर्मपत्नी एवं श्रीमती अमताबाई का पुत्री थीं। इनका विवाह मालोट निवासी श्री गुलाबचन्द जी के साथ हुआ था। लेकिन सौभाग्य थोड़े दिन तक रहा। फाल्गुन शुक्ल ३ (तीज) सं० १९६० में साध्वी श्री कासा जी से दीक्षित हुई और उनकी शिष्या बनीं और शास्त्रीय ज्ञान अर्जित किया । मालवा, मेवाड़, वागड़, वरार, मध्यप्रदेश आदि इनका विहार क्षेत्र रहा। सं० १९८७ में इन्हें प्रवर्तिनी पद मिला। इनकी नौ शिष्याएँ हुई, जिनमें निम्न नाम उपलब्ध हैं (१) श्री जानकुंवर जी (२) श्री सुन्दरकुंवर जी ( ३ ) श्री नजरकुवर जी (४) श्री केसर जी (५) श्री हुलास जी (६) श्री कस्तूराजी (७) श्री दाखा जो और (८) श्री नन्दकुवर जी । साध्वी श्री छोटे हगामवर जी इनका जन्मस्थान भिंडर ( मेवाड़) है। इनके पिता का नाम श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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