Book Title: Jain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Author(s): Hirabai Boradiya
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 298
________________ दिगम्बर सम्प्रदाय की अर्वाचीन आयिकायें : २३१ झुल्लिका सगुणमती जी ___ आपका जन्म नाम बसन्तीबाई और जन्मस्थान हालनूल (राजस्थान) है। आप खण्डेलवाल जैन जाति के श्री गुलाबचन्द्रजी एवं श्रीमती आसराबाई की सुपुत्री हैं। आपकी क्षु० दीक्षा श्रावण सुदी ९ वीर सं० २४९८ (१६।८७२) के दिन हुई थी। वर्तमान में फलटण, गजपन्था, नांदगाँव आदि का भ्रमण करती हुईं व्रतों का पालन कर रही हैं। . आयिका सन्मतिमती माताजी आपका जन्म चैत्र शुक्ला ९ संवत् १९७५ के शुभदिन बनगोठड़ी जिला सीकर (राजस्थान) निवासी श्री भुरामल जी कासलीवाल की धर्मपत्नी श्रीमती सूरजबाई की कुक्षि से हुआ था। बचपन का नाम कमलाबाई था। " कमलाबाई की शादी भदाल ( राजस्थान) निवासी श्री कस्तूरचन्द्र जी काला से हुई थी और एक कन्या को जन्म दिया था। कालान्तर में संसार को असार जानकर अपने विचार एवं संकल्प के अनुसार आपने आचार्यश्री शिवसागर महाराज से कार्तिक शुक्ल १० सं० २०२२ के दिन श्री महावीरजी पर क्षुल्लिका एवं कोटा नगर में भाद्र कृष्णा २ सं० २०२३ के दिन आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। आर्यिका के व्रतों का परिपालन करती हुई सन्मति नामकरण को अलंकृत कर रही हैं। आर्यिका समयमती माताजी श्री मल्लपा जी की धर्मगृहिणी श्रीमती जी का जन्म बेलगांव जिले के अन्तर्गत अकोला में मातेश्वरी बहिणाबाई की कोख से हुआ था। इनका लौकिक शिक्षण मात्र ४ कक्षा पर्यन्त था । श्रीमतीजी ने सुख समृद्धि पूर्ण परिवार में रहते हुए चार पुत्र एवं दो पुत्रियों को जन्म दिया। उन पुत्रपुत्रियों को आपने सुसंस्कारों से संस्कारित किया, जिससे मात्र ज्येष्ठ पुत्र को छोड़कर सभी मोक्षमार्ग में रत हैं। आचार्यप्रवर विद्यासागर आपकी ही देन हैं । छोटी पुत्री प्रवचनमती हैं। ___श्री मल्लपाजी के साथ आपने भी जिनदीक्षा ग्रहण की और अपने पुत्रपुत्रियों को भी दीक्षित करा दिया । आप सबकी दीक्षा विशाल जनसमुदाय के मध्य मुजफ्फरनगर (उ० प्र०) में आचार्यश्री धर्मसागरजी द्वारा हुई। दीक्षा के अनन्तर श्रीमती से समयमती आयिका बनीं। वर्तमान में आप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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