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स्थानकवासी ऋषि सम्प्रदाय की साध्वियों का संक्षिप्त परिचय : २८५ प्रतापगढ़ में संवत् १९८९ पौष वदी ५ को प्रवर्तनी पद से अलंकृत
हुईं।
इनका विचरण स्थल, मालवा, मेवाड़, मारवाड़, पंजाब, खानदेश, बरार, महाराष्ट्र आदि क्षेत्र रहा। आपका स्वर्गवास शाजापुर ( मध्यप्रदेश ) में हुआ ।
आपकी दस शिष्याएँ हुईं। उनके नाम निम्न हैं
( १ ) श्री उमराव कुँवरजी, (२) पं० श्री वल्लभ कुँवरजी ( ३ ) श्री श्रीमतीजी ( ४ ) श्री राजीमतीजी ( ५ ) श्री सोहन कुँवरजी ( ६ ) श्री पान कुँवरजो, ( ७ ) श्री सूरज कुँवरजी, (८) श्री कुसुम कुँवरजी, ( ९ ) श्री विमल कुँवरजी ( १० ) श्रीयत कुँवरजी ।
साध्वी श्री उमराव कुँवरजी
इनका जन्म सं० १९३८ में टाटोटी ( अजमेर) में हुआ था । इनके माता-पिता का नाम क्रमशः श्रीमती केशरबाई और श्री पन्नालालजी डाब-रिया था । १६ वर्ष की आयु में अजमेर निवासी श्री कानमलजी सुराणा के साथ विवाह सम्पन्न हुआ । विवाह के बाद मात्र पन्द्रह दिन में ही विधवा हो गईं। अजमेर में २० वर्षों तक धार्मिक जीवन बिताने के बाद संवत् १९७५ की चैत्र शुक्ल पञ्चमी के दिन साध्वी श्री रतनकुँवरजी से दीक्षा ग्रहण की ! आपका स्वर्गवास शाजापुर (म. प्र. ) में साध्वी श्री वल्लभकुवरजी
हुआ ।
इनका जन्म संवत् १९६८ में शाजापुर (म. प्र. ) में हुआ था । इनके माता-पिता का नाम क्रमशः श्रीमती देवकुँवर बाई और श्री मोतीलालजी कोठारी था । ११ वर्ष की उम्र में इनका विवाह नलखेड़ा ( मालवा ) निवासी श्री छगनलालजी नाहर के साथ हुआ। लेकिन विवाह के एक वर्ष पश्चात् आप विधवा हो गईं। संवत् १९८३ आषाढ़ शुक्ल पञ्चमी के दिन शाजापुर में साध्वी श्री रतनकुँवरजी की शिष्या बनीं ।
इन्हें शस्त्रीय ग्रन्थों के विशेष ज्ञान के साथ-साथ संस्कृत, ऊर्दू, अरबी, फारसी एवं अंग्रेजी का भी ज्ञान था। मालवा, मेवाड़, मारवाड़, पंजाब, खानदेश, दक्षिण महाराष्ट्र इनका विचरण स्थल रहा । आपका स्वर्गवास शाजापुर (म. प्र. ) में हुआ ।
साध्वी श्री श्रीमतोजो
इनका जन्म बखतगढ़ ( जिला धार - मध्यभारत ) में सं० १९७६ में
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