Book Title: Jain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Author(s): Hirabai Boradiya
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 336
________________ स्थानकवासी आचार्य अमरसिंहजी की परम्परा की जैन साध्वियां : २६९. बो शिष्यायें हुईं – (१) लहरकुँवरजी और (२) दाखकुँवरजी । आपका स्वर्गवास वि० सं० २००३ में यशवंतगढ़ में हुआ । साध्वी लहरकुवरजी आपका जन्म नान्देशमा ग्राम में हुआ था । आपके पिता का नाम सूरजमल सिंघवी और माता का नाम फूलकुवरबाई था । आपका पाणिग्रहण ढोल निवासी गेगराजजी ढालावत के साथ हुआ था। पति का देहान्त होने पर कुछ समय के पश्चात् एक पुत्री का भी देहान्त हो गया । अपनी सात वर्षीया दूसरी पुत्री को उसकी दादी को सौंपकर वि० सं० १९८१ में नान्देशमा ग्राम में दीक्षा ग्रहण की। आपकी एक शिष्या का नाम खमानकुंवरजी है । आपका स्वर्गवास वि० सं० २०२६ में १२ घण्टे के संथारे के उपरान्त हुआ । साध्वी प्रेमकुंवरजी आपका जन्म उदयपुर राज्य के गोगुन्दा ग्राम में हुआ और आपका पाणिग्रहण उदयपुर में हुआ था। पति का देहान्त होने पर महासती फूलकुँवरजी के उपदेश से प्रभावित होकर आपने दीक्षा ग्रहण की। आपकी शिष्या का नाम पानकु वरजी था आपका स्वर्गवास वि० सं० १९९४ में उदयपुर में हुआ । साध्वी मोहनकुवरजी आपका जन्म उदयपुर राज्य के वाटी ग्राम में हुआ था । आप लोदा परिवार की थीं । आपका पाणिग्रहण मोलेरा ग्राम में हुआ था । महासती फूलकुवरजी के उपदेश को श्रवण कर चारित्रधर्म ग्रहण किया । आपको थोकड़ों का अच्छा अभ्यास था और साथ ही मधुर व्याख्यानी भी थीं । साध्वी सौभाग्यकु वरजी आपका जन्म बड़ी सादडी नागोरी परिवार में हुआ था तथा सादडीनिवासी प्रतापमलजी मेहता के साथ आपका पाणिग्रहण हुआ था । आपने एक पुत्र को जन्म दिया। महासती धूलकुंवरजी के उपदेश को सुनकर आपने प्रव्रज्या ग्रहण की। आपकी प्रकृति भद्र थी तथा ज्ञानाभ्यास साधारण था । वि० सं० २०२७ में गोगुन्दा में आपका स्वर्गवास हुआ । साध्वी शम्भुकु वरजी आपका जन्म वि० सं० १९५८ में वागपुरा ग्राम में हुआ था । आपके पिता का नाम गेगराजजी धर्मावत और माता का नाम नाभीबाई था । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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