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खरतरगच्छीय प्रवर्तिनी सिंहश्रीजी म० के साध्वी-समुदाय का परिचय : २६३ झरता था। आप केवल विदुषी ही नहीं तपस्विनी भी थीं। ७४ वर्ष की उम्र में आपने मास-खमण जैसी महान् तपस्या की। आपके द्वारा लिखित वैराग्य-शतक का संक्षिप्त विवेचन उपलब्ध है। आपकी १३-१४ शिष्यायें हैं।
आप अन्तिम अवस्था में अस्वस्थता के कारण बाड़मेर में स्थानापन्न हो गई थीं। वहाँ वि० सं० २०३९ की पौष कृष्ण १० को समाधिपूर्वक आपका स्वर्गवास हुआ। ___ साध्वी श्रीराजेन्द्रश्रीजी म०, श्रीचन्द्रयशाश्रीजी म०, श्रीचन्द्रोदयश्रीजी म०, श्रीचंपकश्रीजी म०, आदि आपकी प्रखर शिष्याओं में से थीं। वर्तमान में साध्वी प्रकाशश्रीजी म०, विजयेन्द्रश्रीजी म०, स्वयंप्रभाश्रीजी म०, कोमलश्रीजी म०, रतनमालाश्रीजी म०, विद्युत्प्रभाश्रीजी म० आदि आपकी शिष्या समूह रूपी साध्वीमण्डल विचरण कर रहा है। ..
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