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तीर्थकर महावीर के युग की जैन साध्वियाँ एवं विदुषी महिलाएँ ; ९७ वीरकृष्णा':
कूणिक राजा की छोटी माता श्रेणिक राजा की सातवीं रानी का नाम वीरकृष्णा था। अन्य रानियों की भाँति वह भी दीक्षा लेकर अनेक प्रकार की तपस्या करने लगी। इन्होंने आर्या चन्दना से अनुमति लेकर 'सर्वतोभद्र तप' प्रारम्भ किया। इस तप की चार परिपाटी को पूर्ण करने में दो वर्ष, आठ मास, २० दिन लगे। उमने तप की शास्त्रोक्त विधि से आराधना को। अन्त में संथारा कर सम्पूर्ण कर्मों का क्षय करके सिद्ध गति को प्राप्त हुई। इसका पर्याय १४ वर्ष का था। रामकृष्णा:
कूणिक राजा की छोटी माता एवं श्रेणिक राजा की आठवीं रानी का नाम रामकृष्णा था। दीक्षा धारण कर आर्या चन्दनबाला की आज्ञा से 'भद्रोत्तर प्रतिमा तप' करने लगी। ___ इस तप की चारों परिपाटी को पूर्ण करने में दो वर्ष; दो महीने और बीस दिन लगे। रामकृष्णा आर्या ने इस तप को शास्त्रोक्त विधि से किया और सामायिकादि ग्यारह अंगों का अध्ययन करती हुई विचरने लगी। अन्तिम समय में केवलज्ञान, केवलदर्शन प्राप्त कर मोक्ष पद को प्राप्त किया। पितृसेनकृष्णा" : __ कूणिक राजा की छोटी माता और श्रेणिक राजा की नौवीं रानी का नाम पितृसेनकृष्णा था। दीक्षा के बाद वह सामायिकादि ग्यारह अंगों का अध्ययन कर अनेक प्रकार तप करतो हुई विचरने लगी। सती चन्दन बाला की आज्ञा लेकर उसने "मुक्तावली तप' किया। इस तप को चारों परिपाटियों को पूर्ण करने में तीन वर्ष और दस महीने लगे। इस प्रकार तप करते हुए पितृसेनकृष्णा रानी ने देखा कि अब मेरा शरीर तपस्या करने से अति दुर्बल हो गया है। अतः उसने सती चन्दनबाला से आज्ञा
१. अन्तकृद्दशा, सू० २३ २. वही, सूत्र २३ ३. वही, सूत्र २४, २६ ४. एम० सी० मोदी-अंतगड दसाओ-अट्ठमो वग्गो, सूत्र २४, पृ० ६१ ५. अन्तकृद्दशा सू० २५
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