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१६-१८वीं शताब्दी की जैन धर्म की साध्वियों एवं विदुषी महिलाएँ : २०५ वर्तमान के अन्य साध्वी संघों में विशिष्ट स्थान प्राप्त किये हुए हैं। कई विदुषी साध्वियों ने विभिन्न ग्रन्थों की रचना भी की है।
तेरापंथ सम्प्रदाय आत्मानुशासन का एक अलभ्य उदाहरण है। प्रारंभ से आज तक (सन् १९७३) इस सम्प्रदाय में दीक्षा लेनेवालों में ६६८ साधु एवं १३०५ साध्वियां हुई हैं।
सरदार सतियाजी का जीवन बहुत क्रान्तिकारी था। उन्होंने कई परिवर्तन साध्वी जीवन में किये। आज भी ५०० विदुषी साध्वियों का इनका यह संघ जहाँ भी जाता है अपने त्याग, तपस्या, संयम तथा विलक्षण बुद्धि से जनता को प्रभावित करता है।
१. तेरापंथ का इतिहास, खण्ड १, पृ० ३७
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