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सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ]
अंचलगच्छ
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५३. देवेन्द्रसिंहसूरि ५४. धर्मप्रभसूरि ५५. सिंह तिलकसूरि ५६. महेन्द्रप्रभसूरि ५७. मेरुतुगसूरि-इन्होंने विचार श्रेरिण आदि अनेक ग्रन्थों की रचनाएं
की। आपकी दीक्षा विक्रम सम्बत् १४१८ में, सूरिपद विक्रम सम्वत्
१४२६ में तथा स्वर्गवास विक्रम सम्वत् १४७३ में हुआ। ५८. जयकीत्तिसूरि-अापने उत्तराध्ययन टीका, क्षेत्र समास टीका,
संग्रहणी टीका आदि अनेक ग्रन्थों की रचना की। ५६. जय केसरीसूरि ६०. सिद्धान्त सागरसूरि ६१. भावसागरसूरि-पापको विक्रम सम्वत् १५६० में प्राचार्यपद पर
प्रासीन किया गया। २३१ गाथात्मका "श्री वीरवंश विधि पक्ष पट्टावलि' नामक आपकी कृति ऐतिहासिक दृष्टि से बड़ी महत्त्वपूर्ण
कृति है। ६२. गुणनिधानसूरि ६३. धर्ममूत्तिसूरि ६४. कल्याणसागरसूरि ६५. अमरसागरसूरि ६६. विद्यासागरसूरि ६७. उदयसागरसूरि-आपकी आज्ञा से अंचलगच्छ की एक पट्टावली की
अनुसन्धानपूर्वक रचना की गई। ६८. कीर्तिसागरसूरि ६६. पुण्यसागरसूरि ७०. राजेन्द्रसागरसूरि ७१. मुक्तिसागरसूरि ७२. रत्नसागरसूरि ७३. विवेकसागरसूरि-विक्रम सम्वत् १६२८ में प्राचार्यपद और १९४८
में स्वर्गवास । ७४. जिनेन्द्रसागरसूरि
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