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सामान्य श्रुतघर काल खण्ड २ ]
लोकाशाह
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१. ऋ० लकाजी, पाटण ना रेवासी, जात बीसा उशवाल, गोत्रे लकड़, दीक्षा मास ३ नी सर्व आयु वर्ष ५७ ।............।'
___३. “पाठ कोटि दरियापुरी जैन सम्प्रदाय वृक्ष" में श्रमण भगवान् महावीर के प्रथम पट्टधर सुधर्मास्वामी के पाटानुपाट २७ वें पट्टधर देवद्धिगणि क्षमाश्रमण
और उनके उत्तरवर्ती पट्टधर प्राचार्यों का क्रमशः उल्लेख करते हुए बताया गया है .कि भ० महावीर के ४८वें पट्टधर श्री सुमति प्राचार्य हुए। इसके पश्चात् लोंकाशाह के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण विवरण प्रस्तुत करते हुए लिखा है :
"४६ (पट्टधर) श्री लोंकाशाह प्राचार्य सम्वत् विक्रमीय १५३१ मां भस्मग्रह उतर्यो।
विक्रम संवत् १५३१ मां साधु धर्म चलाव्यो। (लोंकागच्छ प्रारम्भ)
अरटवाड़ा ग्राम मां वणिक प्रोसवाल-पिता हेमचन्द्र, माता गंगा बाई । तेमणे ४५ जणां ने साधुमार्ग दीक्षा अपावी। केटलाक कहे छे के लोंकाशाहे सम्वत् १५०६ मां पाटण मां सुमतिविजय पासे दीक्षा लीधी अने लक्ष्मीविजय नाम धारण करी ४५ जणां ने दीक्षा ग्रहण करावी अने केटलाक कहे छे के दीक्षा ग्रहण करी नथी, अने संसार मां रही ने ४५ जणां ने दीक्षा अपावी ।
५० (वें प्राचार्य) श्री भाणजी स्वामी वि० सं० १५३१ ५१ श्री भीदाजी स्वामी
" , १५४०
"दरियापुरी सम्प्रदाय
४८. श्री सुमति प्राचार्य
४६. श्री लोकाशाह प्राचार्य वि० सं० १५३१ मां भस्मग्रह उतर्यो । वि० सं० १५३१ मां साधु मार्ग लोंकागच्छ प्रारम्भ ।
___ अरटवाड़ा ग्राम मां वणिक् प्रोसवाल पिता हेमचन्द्र, माता गंगाबाई । तेमणे ४५ जणाह साधुमार्ग दीक्षा अपावी ।
केटलाक कहे छ के लोंकाशाहए सं० १५०० मां पाटण मां सुमति विजय पासे दीक्षा लीधी ने लक्ष्मी विजय नाम धारण करी ४५ जणा ने दीक्षा ग्रहण
१. लोंकागच्छीय पट्टावली (सं० १४२८ से १९८२ तक की) देखिये-पट्टावली प्रबन्ध संग्रह,
पृष्ठ १०२-३ ।
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